पुणे महानगरपालिका (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Pune News In Hindi: पुणे महापालिका चुनाव के लिए तैयार किए गए प्रारूप वार्ड संरचना (प्रभाग रचना) पर गुरुवार से सुनवाई शुरू हो गई है। खास बात यह रही कि इस सुनवाई में सबसे ज्यादा आपत्तियां खुद सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने दर्ज कराई हैं। इसे लेकर राजनीतिक गलियारे में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।
अब सवाल खड़े किए जा रहे हैं कि जो विपक्ष सत्ता पक्ष पर अपने मन मुताबिक प्रभाग संरचना बनवाने का आरोप लगा रहा है। वहीं अब भाजपा के ही कार्यकर्ताओं की तरफ से ही सबसे अधिक आपत्तियां क्यों दर्ज कराई गई हैं। गुरुवार को प्रभाग क्रमांक 1 से 29 तक के प्रभागों की रचना पर सुनवाई की तैयारी की गई थी।
यह सुनवाई सामान्य प्रशासन विभाग की अपर सचिव वी राधा ने बालगंधर्व नाट्यगृह में की। इस दौरान पुणे महापालिका आयुक्त नवल किशोर राम, अतिरिक्त आयुक्त ओमप्रकाश दिवटे, चुनाव निर्णय अधिकारी प्रसाद काटकर सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। कुल 2,920 आपत्तियां सुनवाई के लिए रखी गई थीं, जिनमें से करीब 540 आपत्तिकर्ता प्रत्यक्ष रूप से वहां मौजूद थे। कसबा विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले एक प्रभाग को 3 हिस्सों में विभाजित करने का मुद्दा सबसे अधिक चर्चा में रहा।
आपत्तिकर्ताओं का कहना था कि इस विभाजन से आरक्षण का संतुलन बिगड़ गया है और अनुसूचित जाति (SC) के आरक्षण को खतरा पैदा हो गया है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी इस मुद्दे पर जोरदार आपत्ति दर्ज कराई है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि इस तरह की प्रभाग संरचना आखिर किसके इशारे पर की गई है।
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महाविकास आधाड़ी ने आरोप लगाया था कि सत्ताधारी भाजपा ने अपने अनुकूल वार्ड संरचना तैयार करने के लिए हस्तक्षेप किया है। विपक्ष का कहना है कि मध्यवर्ती क्षेत्रों में कुछ वार्ड इस प्रकार से बनाए गए है जिससे भाजपा को राजनीतिक फायदा होगा। आघाड़ी ने यह भी संकेत दिया था कि वे इस रचना को अदालत में चुनौती देंगे। लेकिन गुरुवार की सुनवाई ने तस्वीर का दूसरा पहलू सामने लाकर रख दिया। सुनवाई में स्पष्ट हुआ कि आपत्ति दर्ज करने वालों में भाजपा कार्यकर्ताओं की संख्या सबसे ज्यादा है।