राज ठाकरे के आवास पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (फोटो- सोशल मीडिया)
Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी के मौके पर महाराष्ट्र की राजनीति का केंद्र राज ठाकरे का आवास ‘शिवतीर्थ’ बन गया, जहां नेताओं का तांता लग रहा है। दिन की शुरुआत में शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे अपने परिवार के साथ गणपति दर्शन के लिए पहुंचे, तो शाम होते-होते मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी हाजिरी लगा दी। दशकों से एक-दूसरे से दूर रहे दो चचेरे भाइयों, उद्धव और राज ठाकरे की यह बढ़ती नजदीकी राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गई है, जिसके सीधे संकेत आगामी बीएमसी चुनावों से जोड़े जा रहे हैं।
बुधवार को गणेश उत्सव के अवसर पर राज ठाकरे के घर पर एक अलग ही नजारा देखने को मिला। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत जैसे बड़े नेता बप्पा का आशीर्वाद लेने पहुंचे। लेकिन सबसे ज्यादा ध्यान उद्धव ठाकरे के दौरे ने खींचा, जो अपने परिवार के साथ पहुंचे थे। राजनीतिक मनमुटाव को भुलाकर त्योहार के मौके पर ठाकरे भाइयों का यह मिलन महाराष्ट्र में एक नए राजनीतिक अध्याय की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है, जिसकी नींव कुछ समय पहले ही रखी गई थी।
उद्धव और राज ठाकरे के बीच जमी बर्फ पिघलने की शुरुआत जुलाई में वर्ली में हुई एक विशाल रैली से हुई थी, जहां करीब 20 साल बाद दोनों भाई एक साथ एक मंच पर दिखे थे। यह रैली राज्य सरकार द्वारा स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य करने के फैसले के खिलाफ आयोजित की गई थी। इस रैली में उमड़े जनसैलाब और दोनों भाइयों के एक साथ आने के दबाव के बाद तत्कालीन उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को अपना फैसला वापस लेना पड़ा था। इसी मंच से राज ठाकरे ने कहा था कि महाराष्ट्र किसी भी राजनीति से बड़ा है और फडणवीस ने वह काम कर दिया, जो बालासाहेब भी नहीं कर पाए थे।
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वर्ली की सफल रैली के बाद से ही दोनों भाइयों के बीच मुलाकातों का दौर शुरू हो गया। कुछ ही दिनों बाद राज ठाकरे, उद्धव के जन्मदिन पर उनके आवास ‘मातोश्री’ पहुंचे, जहां दोनों ने बालासाहेब ठाकरे की तस्वीर के सामने एक साथ फोटो खिंचवाई। अब गणेश चतुर्थी पर हुई यह मुलाकात इस रिश्ते को और मजबूती देती दिख रही है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह बढ़ती नजदीकी 2026 में होने वाले बीएमसी चुनावों को ध्यान में रखकर की जा रही है। अगर शिवसेना (यूबीटी) और मनसे मिलकर चुनाव लड़ते हैं, तो मराठी वोट बैंक पर इसका सीधा और गहरा असर पड़ेगा, जो मुंबई की राजनीति के समीकरणों को पूरी तरह बदल सकता है।