सीएम फडणवीस, उद्धव ठाकरे, शरद पवार (pic credit; social media)
Maharashtra Politics: उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर महाराष्ट्र में सियासत गरमा गई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर से महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को उम्मीदवार घोषित किया है। तमिलनाडु से ताल्लुक रखने वाले राधाकृष्णन सोमवार (18 अगस्त) को दिल्ली पहुंचे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की।
इस बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने चुनावी जंग में ‘मराठी अस्मिता’ का दांव चल दिया है। उन्होंने राज्य के सभी सांसदों से अपील की कि वे राधाकृष्णन की उम्मीदवारी का समर्थन करें। फडणवीस ने कहा कि शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (एसपी) जैसी पार्टियां जब-तब महाराष्ट्र की अस्मिता की बात करती हैं, तो अब उन्हें भी इस उम्मीदवार के समर्थन में आगे आना चाहिए।
सीएम फडणवीस ने दावा किया कि राधाकृष्णन केवल महाराष्ट्र के राज्यपाल ही नहीं बल्कि मुंबई में पंजीकृत मतदाता भी हैं। उन्होंने कहा, “भले ही राधाकृष्णन का मूल निवास तमिलनाडु में है, लेकिन वे मुंबई में वोट डालते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने मुंबई से ही मतदान किया था। यह महाराष्ट्र के लिए गर्व की बात है कि देश के सर्वोच्च संवैधानिक पदों में से एक पर यहां के मतदाता को उम्मीदवार बनाया गया है।”
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि नामांकन दाखिल करते समय राधाकृष्णन इस तथ्य का उल्लेख भी करेंगे। यही वजह है कि उन्होंने विपक्षी नेताओं उद्धव ठाकरे और शरद पवार से समर्थन की अपील की है।
उपराष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचन मंडल में लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसद शामिल होते हैं। वर्तमान में निर्वाचन मंडल की कुल संख्या 781 है, जिसमें बहुमत का आंकड़ा 391 है। एनडीए के पास पहले से ही लगभग 422 सांसदों का समर्थन मौजूद है। ऐसे में विपक्ष चाहे तो उम्मीदवार उतार सकता है, लेकिन राधाकृष्णन की जीत लगभग तय मानी जा रही है।
शिवसेना (यूबीटी) के पास लोकसभा में नौ और राज्यसभा में दो सांसद हैं, जबकि एनसीपी (एसपी) के पास लोकसभा में 10 और राज्यसभा में दो सांसद हैं। इनकी संख्या नतीजे को प्रभावित करने में सक्षम नहीं है, लेकिन राजनीतिक संदेश और ‘मराठी अस्मिता’ का मुद्दा इसे खास बना देता है।
जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद उपराष्ट्रपति का पद खाली हुआ है। निर्वाचन आयोग ने इस पद के लिए 9 सितंबर को मतदान की घोषणा की है। भाजपा और एनडीए पहले ही इसे औपचारिक मुकाबला मान रहे हैं। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि उद्धव ठाकरे और शरद पवार फडणवीस की अपील को किस तरह लेते हैं—क्या वे ‘मराठी अस्मिता’ के नाम पर समर्थन देंगे या फिर विपक्षी एकजुटता बनाए रखेंगे।