महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन (pic credit; social media)
CP Radhakrishnan Vice President: भारतीय जनता पार्टी (BJP) संसदीय बोर्ड ने रविवार को बड़ा फैसला लिया। NDA ने उपराष्ट्रपति पद के लिए अपने उम्मीदवार के तौर पर महाराष्ट्र के मौजूदा राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन का नाम घोषित किया है। यह फैसला दिल्ली में हुई संसदीय बोर्ड की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा की मौजूदगी में लिया गया।
सी.पी. राधाकृष्णन वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं, और इससे पहले उन्होंने झारखंड, तेलंगाना (अतिरिक्त चार्ज), एवं पुडुचेरी (अतिरिक्त चार्ज) के राज्यपाल के रूप में भी सेवाएँ दी हैं। लंबे समय तक RSS और बीजेपी से जुड़ने वाले राधाकृष्णन की राजनीतिक व प्रशासनिक प्रतिष्ठा NDA में उन्हें उपयुक्त विकल्प बनाती है।
सी.पी. राधाकृष्णन पिछले एक साल से महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं और यहां के राजनीतिक घटनाक्रमों के प्रत्यक्ष गवाह भी। राज्य में शिवसेना का विभाजन, शिंदे-फडणवीस सरकार का गठन और उद्धव ठाकरे गुट की ओर से लगातार राज्यपाल भवन पर सवाल उठाए जाते रहे है। इन सबके बीच राधाकृष्णन ने संवैधानिक संतुलन साधने का प्रयास किया। उनके फैसले कई बार चर्चा और विवाद के केंद्र रहे, लेकिन यही अनुभव उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए और भी महत्वपूर्ण उम्मीदवार बनाता है।
राज्यपाल के रूप में उन्होंने मराठा आरक्षण, किसानों की समस्याओं और बाढ़-बारिश जैसे मुद्दों पर सक्रिय भूमिका निभाई। साथ ही, उन्होंने मुंबई और पुणे जैसे शहरों में स्टार्टअप्स और उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की। यही कारण है कि महाराष्ट्र से उनकी उम्मीदवारी को एक “राजनीतिक संदेश” के तौर पर भी देखा जा रहा है।
उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सांसदों द्वारा किया जाता है और मौजूदा समीकरणों में NDA की स्थिति मजबूत है। ऐसे में यह लगभग तय माना जा रहा है कि राधाकृष्णन विजय हासिल करेंगे। हालांकि विपक्ष क्या रणनीति अपनाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
बीजेपी-शिंदे शिवसेना के नेताओं ने राधाकृष्णन की उम्मीदवारी का स्वागत किया और कहा कि यह महाराष्ट्र के लिए गर्व की बात है। वहीं, विपक्षी महा विकास आघाड़ी (MVA) ने इसे भाजपा की “राजनीतिक चाल” बताया है और कहा कि केंद्र सत्ता समीकरण साधने की कोशिश कर रहा है।
सी.पी. राधाकृष्णन की उम्मीदवारी न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में भी हलचल मचा रही है। राज्यपाल के रूप में उनके कार्यकाल ने उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में सुर्खियों में रखा और अब उपराष्ट्रपति पद की दौड़ में उनकी एंट्री ने महाराष्ट्र का महत्व और बढ़ा दिया है।