नासिक कुंभ-फाइल फोटो (सोर्स: सोशल मीडिया)
नासिक: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में इस साल हुए महाकुंभ के सफल आयोजन के बाद अब नासिक में 2027 में सिंहस्थ कुंभ का आयोजन होने जा रहा है। इसके लिए महाराष्ट्र सरकार ने तैयारियां शुरू कर दिया है। इस बीच नासिक कुंभ को लेकर एक नई मांग सामने आई है। नासिक सिंहस्थ कुंभ का नाम बदलने की मांग की जा रही है।
त्र्यंबकेश्वर के अखाड़ा प्रमुखों ने कहा कि त्र्यंबकेश्वर का कुंभ मेला मुख्य कुंभ मेला है और गोदावरी नदी के उद्गम पर स्थित परवणी को असली परवणी माना जाना चाहिए। त्र्यंबकेश्वर में 9 अखाड़े शाही स्नान करते हैं, जबकि नासिक में 3 अखाड़े स्नान करते हैं। इसलिए कुंभ मेले का जिक्र करते समय यह अपेक्षित है कि सबसे पहले त्र्यंबकेश्वर का जिक्र हो और उसके बाद नासिक का। इसका नाम त्र्यंबकेश्वर-नासिक सिंहस्थ कुंभ होना चाहिए।
प्रयागराज में कुंभ स्नान में शामिल त्र्यंबकेश्वर के 9 अखाड़े होली के बाद नासिक पहुंचेंगे। उनके आगमन के बाद सिंहस्थ कुंभ मेले के लिए संतों और महंतों की समिति गठित की जाएगी। इसके बाद प्रशासन के साथ सार्थक चर्चा शुरू होगी। अभी तक अधिकारी वर्ग के साथ ही योजना बैठक हुई है।
विभिन्न अखाड़ों के प्रमुखों से हुई बातचीत के अनुसार मठ में उपलब्ध स्थान संतों, महंतों और उनके शिष्यों के लिए अपर्याप्त होंगे। इसलिए उनके रहने-खाने के लिए अतिरिक्त व्यवस्था करना जरूरी है। पिछले सिंहस्थ की तुलना में इस बार भीड़ अधिक होने की उम्मीद है और संतों-साधुओं की मौजूदगी भी बढ़ने की संभावना है। इसे ध्यान में रखते हुए अधिक स्थान उपलब्ध कराना जरूरी है।
सिंहस्थ कुंभ मेले से सैकड़ों करोड़ रुपये की भारी धनराशि आने की उम्मीद है, जिसका उपयोग स्थायी विकास कार्यों के लिए किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, स्थायी भक्त सुविधा केंद्रों का निर्माण हर साल 16 प्रमुख त्योहारों के लिए त्र्यंबकेश्वर आने वाले भक्तों की जरूरतों को पूरा करेगा।
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ये सुविधाएं सिंहस्थ के दौरान आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए भी उपयोगी होंगी। चूंकि सिंहस्थ आम तौर पर मानसून के मौसम में होता है, इसलिए शेड, शौचालय और स्नान की सुविधा जैसी स्थायी व्यवस्थाएं वार्षिक खर्च की आवश्यकता को खत्म कर देंगी और क्षेत्र की स्वच्छता और पवित्रता को बनाए रखेंगी।