शरद पवार, मनोज जरांगे (pic credit; social media)
Sharad Pawar on Manoj Jarange: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर सियासी हलचल का केंद्र बन गया है। राज्य में जारी आंदोलन के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार गुट) के अध्यक्ष शरद पवार ने नाशिक में बड़ा बयान दिया है। उन्होंने साफ कहा कि मनोज जरांगे पाटील के आंदोलन से उनकी पार्टी का कोई संबंध नहीं है। पवार ने महायुति नेताओं के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इस आंदोलन में उनका या उनकी पार्टी का रत्तीभर भी रोल नहीं है।
शरद पवार ने आंदोलन को लेकर चिंता जताई और कहा कि महाराष्ट्र की सबसे बड़ी ताकत हमेशा से सामाजिक एकता रही है। लेकिन मौजूदा हालात में यह ऐक्य दरकता हुआ दिख रहा है। पवार ने सभी पक्षों से अपील की कि समाज-समाज के बीच कटुता नहीं बढ़नी चाहिए और बातचीत के जरिए स्थायी समाधान ढूंढा जाना चाहिए।
छगन भुजबल को भी पवार ने नसीहत दी। मराठा समाज को कुणबी प्रमाणपत्र के आधार पर ओबीसी आरक्षण में शामिल करने के मुद्दे पर भुजबल लगातार आक्रामक बयान दे रहे हैं। इस पर पवार ने कहा कि नेताओं को संयम बरतना चाहिए और ऐसे वक्तव्य नहीं देने चाहिए जिससे समाज में तनाव फैले। उन्होंने कहा कि सरकार किसी एक जाति की नहीं बल्कि सबकी होती है, इसलिए समितियों का गठन करते समय सभी पक्षों को ध्यान में रखना जरूरी है।
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इस बीच एनसीपी विधायक जितेंद्र आव्हाड ने भी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि मराठा आरक्षण की मांग पूरी होनी चाहिए, लेकिन इसका खामियाजा ओबीसी आरक्षण को नहीं भुगतना चाहिए। आव्हाड ने चेतावनी दी कि सत्ताधारी गठबंधन मराठा और ओबीसी समाज को टकराने की साजिश कर रहा है। यह स्थिति राज्य के लिए बेहद खतरनाक होगी।
आव्हाड ने आगे कहा कि मराठा-ओबीसी विवाद संवैधानिक रूप से बेहद संवेदनशील है। मराठा समाज को न्याय मिलना चाहिए लेकिन ओबीसी आरक्षण को किसी भी हाल में नुकसान नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की राजनीतिक परंपरा में वरिष्ठ नेताओं का अपमान अस्वीकार्य है और सत्ताधारी दल को इससे बचना चाहिए।
महाराष्ट्र की राजनीति में मराठा आरक्षण का मुद्दा लगातार गरमा रहा है। एक ओर जरांगे पाटील का आंदोलन जारी है तो दूसरी ओर सरकार और विपक्ष के नेता आरोप-प्रत्यारोप में जुटे हुए हैं। पवार के इस बयान ने साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी आंदोलन से दूरी बनाए रखना चाहती है, लेकिन सामाजिक एकता पर मंडराते खतरे को लेकर वह गंभीर हैं।
शरद पवार ने कहा कि उनकी पार्टी का जरांगे पाटील के आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी कि मराठा आरक्षण विवाद से सामाजिक एकता खतरे में पड़ रही है और सभी को मिलकर समाधान निकालना होगा।