नासिक जिला परिषद (pic credit; social media)
Nashik Zilla Parishad Seat Reservation: नासिक जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव से पहले आरक्षण का बम फूटते ही तहसील की सियासत में भूचाल आ गया है। इस बार की आरक्षण लॉटरी ने कई पुराने दावेदारों के सपने चकनाचूर कर दिए हैं। नासिक तहसील के चार जिला परिषद समूहों में से तीन सीटें आरक्षित हो गई हैं, जिससे सियासी बिसात पूरी तरह पलट गई है।
गिरनारे समूह इस बार अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित हुआ है, जबकि पिछली बार यह आदिवासी महिला के लिए आरक्षित था। गोवर्धन समूह लगातार दूसरी बार ST आरक्षित हुआ है। इस बार ST महिला के लिए। वहीं, एकलहरे समूह जो पिछली बार सामान्य वर्ग के लिए खुला था, अब अनुसूचित जाति (SC) महिला के लिए आरक्षित हो गया है।
अब नासिक तहसील में केवल पलसे समूह ही ऐसा है जो नागरिकों के पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए खुला है। यानी पूरे क्षेत्र में यही एकमात्र “अनारक्षित” या कहें “उम्मीद की किरण” बची है।
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पंचायत समिति स्तर पर भी आरक्षण की घोषणा ने समीकरण हिला दिए हैं। कुल 8 निर्वाचन क्षेत्रों में से सिर्फ 2 ही सामान्य (खुले) रह गए हैं। बाकी सीटें विभिन्न वर्गों के लिए आरक्षित हैं। OBC के लिए पलसे और विल्होली (महिला), SC के लिए एकलहरे (महिला), और ST के लिए गिरनारे (महिला), देवगांव (महिला) और गोवर्धन (खुला)।
इस आरक्षण ने कई सीनियर नेताओं को चुनावी दौड़ से बाहर कर दिया है। अब वे अपने परिवार के सदस्यों को मैदान में उतारने की रणनीति बना रहे हैं। वहीं, नए और युवा चेहरे मैदान में उतरने की तैयारी में हैं।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि इस आरक्षण से नासिक की सियासत का पूरा गणित बदल गया है। अब हर पार्टी अपने पत्ते नए सिरे से फेंकने को मजबूर है। कह सकते हैं कि इस बार आरक्षण ने नासिक की राजनीति में ऐसा झटका दिया है, जिसकी गूंज चुनाव तक सुनाई देगी।