
प्रतीकात्मक तस्वीर ( सोर्स: सोशल मीडिया )
Malegaon Child Justice Hindi News: मालेगांव तहसील के डोंगराले गांव में मासूम बच्ची के साथ हुए अमानवीय अत्याचार और हत्या के मामले में न्याय की घड़ी नजदीक आ गई है।
गुरुवार 18 दिसंबर को अपर जिला सत्र न्यायालय में इस संवेदनशील मामले की पहली सुनवाई हुई। विशेष सरकारी वकील एडवोकेट उज्ज्वल निकम ने न्यायाधीश के. आर. पाटिल के समक्ष अभियोजन पक्ष का नेतृत्व करते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपनी दलीलें पेश कीं।
इस जघन्य अपराध को लेकर पूरे महाराष्ट्र में उपजे आक्रोश के बाद सरकार ने इसे फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने का निर्णय लिया था। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए 425 पन्नों का विस्तृत आरोप पत्र (चार्जशीट) दाखिल किया है।
सुनवाई के दौरान न्यायिक हिरासत में बंद मुख्य आरोपी शेखर उर्फ विजय खैरनार को भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश किया गया।
लगभग एक घंटे तक चली सुनवाई के दौरान एड। उज्ज्वल निकम ने आरोपी पक्ष की उन दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें उसकी न्यायिक हिरासत को ‘गैरकानूनी’ बताया गया था।
निकम ने कानून के विभिन्न प्रावधानों का हवाला देते हुए आरोपी की कस्टडी को जायज ठहराया। पुलिस ने चार्जशीट के साथ वैज्ञानिक साक्ष्य, महत्त्वपूर्ण दस्तावेजी सबूत और गवाहों के बयान भी अदालत को सौंपे हैं।
मामले की संवेदनशीलता और पूर्व में हुई हिंसक घटनाओं को देखते हुए अदालत परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया गया था। सुनवाई के दौरान गोपनीयता बनाए रखने के लिए कोर्ट रूम के आसपास का क्षेत्र खाली करा लिया गया था।
आरोपी पर अपहरण, यौन शोषण, हत्या और पोक्सो (POCSO) एक्ट की गंभीर धाराएं लगाई गई हैं। अदालत ने अब इस मामले की अगली सुनवाई 22 दिसंबर को तय की है।
उल्लेखनीय है कि नवंबर में हुई इस घटना के विरोध में मालेगांव पूरी तरह बंद रहा था और गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने कोर्ट का गेट तक तोड़ दिया था। भारी राजनीतिक दबाव और ग्रामीणों के आमरण अनशन के बाद सरकार ने एड।
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उज्ज्वल निकम की नियुक्ति की और पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की। अब पूरे राज्य की निगाहें 22 दिसंबर की सुनवाई पर टिकी हैं।






