फर्जी किसानों की जांच (सौजन्य-IANS)
Nashik News: नाशिक जिले में फर्जी दस्तावेज देकर किसान किसा पहचान पत्र बनवाने वाले किसानों पर कृषि विभाग ने शिकंजा कस दिया है। कृषि विभाग ने युद्ध स्तर पर ऐसे किसानों के दस्तावेजों का सत्यापन शुरू कर दिया है, जिसके चलते फर्जी तरीके से पहचान पत्र बनवाने वाले किसानों के ID दिवाली के बाद रद्द किए जा सकते हैं।
आशंका है कि जिले में लगभग 10 से 15 प्रतिशत पहचान पत्र फर्जी हो सकते हैं। जिले में कुल 7 लाख 84 हजार 736 किसानों में से लगभग 6 लाख 50 हजार किसानों ने किसान पहचान पत्र बनवाए हैं। अब कृषि विभाग यह जाँच करेगा कि इनमें से कितने किसानों ने फर्जी दस्तावेज देकर पहचान पत्र बनवाए हैं, ताकि योग्य लाभार्थियों को राहत मिल सके और सरकारी अनुदान का गलत वितरण रोका जा सके।
यह कदम उन किसानों के लिए बड़ी राहत है जो मानदंडों को पूरा करते हैं, लेकिन फर्जीवाड़े के कारण वंचित रह जाते हैं। कृषि अधीक्षक रवींद्र माने ने किसानों से कड़ा आह्वान किया है कि वे बिना किसी एजेंट की मदद के झूठे दस्तावेज देकर लाभार्थी न बनें। फर्जी दस्तावेज देने वाले किसानों को न केवल भविष्य में कोई अनुदान नहीं मिलेगा, बल्कि उन्हें पूर्व में प्राप्त सरकारी अनुदान की भी वसूली ब्याज सहित होगी।
जमा किए गए दस्तावेजों का सत्यापन एपीआई प्रणाली (सॉफ्टवेयर के माध्यम से दस्तावेजों की प्रामाणिकता की स्वचालित जांच) का उपयोग करके किया जा रहा है। यह जांच सुनिश्चित करेगी कि कोई भी अपात्र व्यक्ति सरकारी योजनाओं का लाभन उठा सके।
सरकारी योजनाओं, जैसे फसल बीमा, फसल ऋण, खाद-बीज पर सब्सिडी और अन्य सरकारी सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए किसान पहचान पत्र अब अनिवार्य है। यह एक विशिष्ट डिजिटल पहचान संख्या है। एक बार पहचान पत्र बनने के बाद, किसान को सभी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए बार-बार अलग-अलग दस्तावेजों की आवश्यकता नहीं होती है, जिससे सरकारी प्रक्रिया आसान और तेज हो जाती है और समय की बचत होती है।
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विभाग ने यह भी देखा है कि फर्जीवाड़े के पीछे अक्सर गाँव के कुछ एजेंट सक्रिय होते हैं, जो भोले-भाले किसानों को बहला-फुसलाकर झूठे दस्तावेज जमा करवाते हैं। किसानों को सलाह दी गई है कि वे किसी भी एजेंट के झांसे में न आएं और सीधे कृषि विभाग के कार्यालय या ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से ही अपने दस्तावेज जमा करें। विभाग ने स्पष्ट किया है कि केवल वैध दस्तावेज जमा करने वाले किसानों को ही लाभ मिलेगा।