
विधान परिषद में ओबीसी फंड पर महायुति सदस्यों में बहस (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Vidhan Parishad Debate: विधान परिषद में उस समय कुछ देर के लिए हंगामा मच गया जब ओबीसी के लिए पूरा फंड नहीं दिए जाने पर भाजपा के परिणय फुके ने वित्त मंत्रालय पर सवाल उठाया। उन्होंने पूछा कि क्या वित्त विभाग ओबीसी के खिलाफ है। इस पर राकां अजीत पवार गट के सदस्य अमोल मिटकरी भड़क उठे और सभापति से उक्त लाइन को सदन की कार्यवाही से हटाने की मांग की। मिटकरी के साथ ही शशिकांत शिंदे और विक्रम काले ने भी यह मांग दोहराई। जब फुके ने अपना आशय स्पष्ट किया, तब सभी शांत हुए।
विप सदस्य अभिजीत वंजारी, सुधाकर अडबाले और भाई जगताप सहित अन्य सदस्यों ने ओबीसी समाज की योजनाओं के साथ न्याय न होने का मुद्दा ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से उठाया। इस दौरान फुके ने कहा कि ओबीसी की योजनाओं के लिए वित्त मंत्रालय द्वारा अपेक्षित निधि नहीं दी जा रही है। उन्होंने सभापति से पूरी निधि देने का निर्देश सरकार को देने की विनती की।
महाज्योति योजना के लिए 297 करोड़ की प्रावधान है, जबकि अतिरिक्त मांग में 526 करोड़ की मांग की गई थी, लेकिन केवल 100 करोड़ ही उपलब्ध कराए गए। धनगर समाज के लिए 98 करोड़ की प्रावधान है, अतिरिक्त मांग 247 करोड़ थी, केवल 65 करोड़ मंजूर। तांडा बस्ती के लिए 175 करोड़ की प्रावधान थी, 343 करोड़ की मांग की गई थी, परंतु एक भी रुपया नहीं दिया गया। विदेशी छात्रवृत्ति के लिए 2,691 करोड़ की प्रावधान थी, 1,337 करोड़ अतिरिक्त मांग की गई थी, केवल 632 करोड़ ही मंजूर। छात्रावास के लिए 128 करोड़ की मांग थी, केवल 10 करोड़ ही उपलब्ध।
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फुके ने सवाल किया कि क्या वित्त विभाग ओबीसी के विरोध में है। उन्होंने सभी योजनाओं के लिए पूर्ण निधि देने की मांग की। मंत्री अतुल सावे ने जानकारी दी कि विदेश में उच्च शिक्षा के लिए विद्यार्थी संख्या बढ़ाकर 200 करने का प्रयास किया जाएगा। घरकुल में 15 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव भेजा गया है। सात जिलों में छात्रावास के लिए जमीन उपलब्ध कराई गई है। महामंडल का भांडवल 250 करोड़ से बढ़ाकर 1,000 करोड़ करने की घोषणा वित्त मंत्री ने अपने बजटीय भाषण में की।






