चंद्रशेखर बावनकुले और संजय शिरसाट (सौजन्य-सोशल मीडिया)
मुंबई: लाडकी बहिन योजना के कारण महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था में बड़ा प्रभाव पड़ा। राज्य की अर्थव्यवस्था में गिरावट भी आयी थी। इस मुद्दे को लेकर विपक्ष और शिवसेना ने आरोप लगाया था कि लाडकी बहिनों को पैसे देने के लिए राज्य में अन्य योजनाओं के फंड का इस्तेमाल किया जा रहा है। विपक्ष के इन सभी दावों को राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने खंडन किया है।
महाराष्ट्र के मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने बुधवार को उन दावों का खंडन कर दिया जिसमें कहा गया है कि राज्य सरकार ने लाडकी बहिन योजना के लिए अन्य विभागों से धनराशि ली है। उन्होंने कहा कि देवेंद्र फडणवीस की सरकार समाज के कमजोर वर्ग की सुरक्षा के लिए है।
हाल में राज्य के सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट ने अजित पवार के वित्त विभाग पर मनमानी करने का आरोप लगाया था और इसे उन्हें सूचित किए बिना उनके विभाग से धन का अवैध रूप से हस्तांतरण बताया था। शिवसेना मंत्री ने स्वीकार किया कि पिछले साल विधानसभा चुनाव से पहले शुरू की गई लाड़की बहिन योजना के कारण राज्य की अर्थव्यवस्था को वित्तीय दबाव का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा था कि बेहतर होगा कि राज्य सरकार आवंटित धन को समय-समय पर दूसरे कामों में लगाने के बजाय सामाजिक न्याय विभाग को ही बंद कर दे। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अगस्त 2024 में महायुति द्वारा शुरू की गई ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना’ के तहत राज्य की पात्र महिलाओं को 1,500 रुपये हर महीने सहायता दी जाती है। इस योजना का अनुमानित वार्षिक खर्च 40,000 करोड़ रुपये से भी अधिक है।
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की महाराष्ट्र इकाई के नेता बावनकुले ने शिरसाट के आरोपों का खंडन करते हुए इससे जुड़े एक सवाल का जवाब दिया और कहा, ‘‘एक कानूनी प्रावधान है जो सुनिश्चित करता है कि सामाजिक न्याय और आदिवासी विकास जैसे विभागों के लिए निर्धारित धन को किसी अन्य उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।”
उन्होंने कहा, ‘‘ये कोष आरक्षित हैं और सरकार के पास उन प्रावधानों को खत्म करने का कोई अधिकार नहीं है। कई बार कोष के वितरण में देरी हो सकती है, लेकिन इसे अन्य विभाग से धनराशि लेने के रूप में गलत नहीं समझा जाना चाहिए।” उन्होंने कहा कि फडणवीस सरकार समाज के कमजोर वर्ग के लिए किए गए बजटीय आवंटन की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह प्रशासन सामाजिक न्याय और जनजातीय विकास विभागों को आवंटित धनराशि में कभी हस्तक्षेप या इसका दुरुपयोग नहीं करेगा।” शिरसाट ने दो मई को दावा किया था कि लाडकी बहिन योजना के वित्तपोषण के लिए सामाजिक न्याय विभाग से 413 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि पुनः आवंटित की गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि इसी तरह से जनजातीय विकास विभाग से भी 335 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि ली गई।
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इन आरोपों का जवाब देते हुए अजित पवार ने पहले इस मामले को तवज्जो नहीं दिया था और सुझाव दिया था कि इस तरह की असहमतियों को सार्वजनिक रूप से संबोधित करने की जगह कैबिनेट की बैठकों में संबोधित किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा था कि लाडकी बहिन योजना के लिए अन्य विभागों से कोई धनराशि नहीं ली गई और कहा कि जो लोग बजट को नहीं समझते हैं वे निराधार दावे कर रहे हैं।
(एजेंसी इनपुट के साथ)