सुप्रीम कोर्ट (डिजाइन फोटो)
Maharashtra Local Body Elections: सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्य भर के स्थानीय निकाय चुनावों को हरी झंडी देने के बाद राज्य सरकार के नगर विकास विभाग द्वारा आनन-फानन में प्रभाग रचना की प्रक्रिया भले ही शुरू कर दी हो, लेकिन प्रभाग रचना के लिए निर्धारित तारीखों में बार-बार परिवर्तन किए जाने के कारण महानगर पालिका के चुनाव टलने की अटकलें लगाई जा रही थी।
भले ही अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के कारण चुनाव 3 से 4 माह के लिए टल गए हों, लेकिन आशंका सही साबित होने के कारण अभी भी आदेशों के बावजूद मनपा चुनावों को लेकर संदेह के बादल मंडराने की संभावना राजनीतिक हलकों में जताई जा रही है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार चुनाव को लेकर राज्य सरकार की ओर से 22 जून को सुधारित आदेश जारी किया गया था। जिसके अनुसार 6 अक्टूबर को अंतिम प्रभाग रचना घोषित की जानी थी। किंतु अब राज्य सरकार को लगभग एक माह समय बढ़ाकर दिया गया है।
राजनीतिक जानकारों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट की ओर से ही लगभग 3 वर्षों से लंबित स्थानीय निकाय चुनावों पर गंभीरता जताते हुए 4 माह के भीतर चुनाव पूरे करने के आदेश दिए थे। यहां तक कि समयावधि बढ़ाकर नहीं मिलने के संकेत भी दिए थे। सुको के आदेशों के अनुसार राज्य सरकार और चुनाव आयोग को चुनाव की प्रक्रिया पूरी करनी थी। किंतु राज्य सरकार ने चुनाव की प्रक्रिया ही देर से शुरू की।
प्रभाग रचना के लिए पहले 12 जून को आदेश जारी किया। किंतु बाद में फिर एक बार इसमें सुधार कर 22 जून को नया आदेश जारी किया। अब फिर एक बार राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जिसमें समय बढाकर देने की मांग की गई। जिसमें परिसीमन अब तक नहीं होने का कारण दिया गया।
जबकि प्रारूप प्रभाग रचना की शुरूआत करने से लेकर इसे अंतिम करने की प्रक्रिया देखी जाए, तो कहीं जानबूझकर तो समय गंवाया नहीं जा रहा है? इस तरह की आशंका को बल मिलता है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो बाद में फिर चुनाव टलने के लिए एक बार ईवीएम का नया बहाना उजागर हो सकता है।
वर्ष 2022 में महानगर पालिका में कार्यकाल खत्म होने के बाद से लगातार चुनावों को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थी। यहां तक कि राज्य सरकार की ओर से जल्द ही चुनाव कराने के संकेत दिए जा रहे थे। आश्चर्यजनक रूप से सत्तादल भाजपा की ओर से स्थानीय नेता और कार्यकर्ताओं को काम पर भी लगा दिया गया था। बार-बार चुनाव टलने के कारण लगातार चुनावी मोड में रहनेवाली भाजपा के नेता और कार्यकर्ता भी उबने लगे थे। सुको के आदेशों से कुछ आस तो बंध गई थी, किंतु मंगलवार को फिर एक बार चुनाव टल गए। जिससे इच्छुक मायूस होते दिखाई दे रहे हैं।
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राजनीतिक जानकारों की मानें तो चुनाव कब तक कराना है यह पूरी तरह से राज्य सरकार की इच्छा पर निर्भर है। कुछ राजनीतिकों का मानना है कि राज्य भर की महानगर पालिका, जिला परिषद और नगर पंचायतों में प्रशासक राज चल रहा है। राज्य सरकार की इच्छा के अनुरूप ही प्रशासक राज का संचालन हो रहा है। एक तरह से स्थानीय निकायों पर भी राज्य सरकार की सत्ता है।
ऐसे में जल्द चुनाव कर विपक्ष को सत्ता में आने का मौका देना, पैर पर कुल्हाडी मारने जैसा साबित होगा। यही कारण है कि किसी ना किसी कारण से चुनाव टलते जा रहे हैं। अन्यथा चुनाव कराने के लिए परिसिमन और कितनी ईवीएम की आवश्यकता होती है, प्रक्रिया को कितने दिन लगते हैं, इसकी जानकारी सरकार को पहले से है।