खुले स्थानों, पीयू और आरक्षित भूखंडों के नियमितीकरण पर रोक। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नागपुर: नागपुर खंडपीठ ने नागपुर सुधार ट्रस्ट यानी एनआईटी को स्पष्ट निर्देश दिया है कि वह गुंठेवारी अधिनियम के तहत खुले स्थानों, सार्वजनिक उपयोगिता (पीयू) भूखंडों और किसी अन्य उद्देश्य के लिए आरक्षित भूमि को नियमित न करे। यह आदेश चिंचमलतापुरे नगर नागरिक कार्रवाई समिति द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान दिया गया, जिसने एनआईटी में नियमितीकरण (आरएल) घोटाले को उजागर किया था।
न्यायमूर्ति नितिन सांबरे और न्यायमूर्ति वृषाली जोशी ने एनआईटी चेयरमैन को 27 मार्च 2025 को हलफनामा पेश करने का आदेश दिया है। इसमें बताया जाए कि सभी एनआईटी अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे गुंठेवारी अधिनियम के तहत या किसी अन्य तरीके से खुले स्थानों, पीयू भूखंडों और आरक्षित भूमि को नियमित न करें। अदालत ने एनआईटी को अपना जवाब प्रस्तुत करने के लिए दो सप्ताह का और समय दिया है।
एनआईटी ने पहले राघवेंद्र गृह निर्माण सहकारी संस्था (चिंचमलातपुरे नगर) की खुली जमीन पर बिल्डर विजय चिंचमलातपुरे और उनके बेटों गौरव और अंकित के स्वामित्व वाले 5 भूखंडों का अधिग्रहण किया था – खसरा नंबर 62/1, 68/1, 67/2, 69/1, मौजा मानेवाड़ा – को गुंठेवारी अधिनियम 2.0 के तहत नियमित किया गया था। चिंचमलातपुरे परिवार ने इन भूखंडों को बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी।
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इस बिक्री और नियमितीकरण का विरोध करते हुए चिंचमलातपुरे नगर नागरिक कार्रवाई समिति (ग्रीन प्लैनेट कॉलोनी फाउंडेशन) ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। 20 दिसंबर 2024 को न्यायालय ने बिल्डरों को आदेश दिया कि वे संबंधित भूखंडों पर किसी तीसरे पक्ष के अधिकार का निर्माण न करें। इसके बाद 6 मार्च 2025 को कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए कि इन पांचों प्लॉटों के नियमितीकरण के आदेश पर अमल न किया जाए।
इस मामले में याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व एडवोकेट आर.आर. व्यास द्वारा किया जा रहा है। पश्चिम नागपुर के विधायक और नागपुर शहर (जिला) कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विकास ठाकरे ने पिछले साल इस नियमितीकरण पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने हाल ही में संपन्न राज्य बजट सत्र में एनआईटी में हुए आरएल घोटाले का पर्दाफाश किया। इस दौरान संबंधित मंत्रियों ने बैठक कर उचित निर्णय लेने का आश्वासन दिया।
05-03-2025 को नगर विकास विभाग (यूडीडी) ने नागपुर सुधार ट्रस्ट (एनआईटी) को जनहित में आवश्यक होने पर आरक्षित भूखंडों को नियमित करने के लिए कहा था। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया था कि गुंठेवारी अधिनियम के तहत नियमितीकरण के बाद विकास योजना में आरक्षण अपनेआप ही बदल जाएगा। हालांकि, अब एनआईटी को हाईकोर्ट के अगले आदेश का इंतजार करना होगा।