ब्लैक काइट रेस्क्यू (सौजन्य-नवभारत)
Black Kite in Nagpur: दुर्लभ ब्लैक काइट (चील) को ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटर (टीटीसी) में सफल उपचार के बाद निसर्ग मुक्त कर दिया। पशु चिकित्सकों के प्रयास से चील को मौत के मुंह से बाहर निकालने में सफलता मिली। कामठी क्षेत्र में ब्लैक काइट गंभीर अवस्था में पाया गया था। जागरूक नागरिक कमलेश कांबले ने टीटीसी के अधिकारियों को इसकी जानकारी दी।
सूचना मिलने पर टीटीसी की टीम तुरंत मौके पर पहुंची। चील को अत्यंत गंभीर अवस्था में ट्रीटमेंट सेंटर लाया गया। पशु चिकित्सकों ने प्राथमिक जांच में पाया कि उसकी ग्रास नली पूरी फट चुकी है। इस कारण पक्षी कुछ भी खाने या पीने में असक्षम था।
वह लगभग मौत के मुंह तक पहुंच चुका था। कुछ दिनों तक चील की ग्रास नली का लगातार ऑपरेशन किया गया। पशु चिकित्सकों ने चील को अपने हाथों से खिलाया। कुछ दिनों के बाद चील की हालत में सुधार आया। करीब 2 हफ्तों के बाद उसके पूरी तरह स्वस्थ हो जाने पर उसे जंगल में छोड़ दिया गया।
उप वन संरक्षक डॉ. विनीता व्यास, सहायक वन संरक्षक यश काले, वन परिक्षेत्र अधिकारी प्रकाश भडांगे के मार्गदर्शन और टीटीसी के समन्वयक कुंदन हाते के नेतृत्व में डॉ. राजेश फुलसुंगे, डॉ. प्रियल चौरागडे, सिद्धांत मोरे, पंकज थोरात और प्रवीण मानकर ने उपचार को सफल बनाया।
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दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में जारी स्वस्थ नारी-सशक्त परिवार अभियान अब 18 अक्टूबर तक विस्तारित किया गया है। अभियान में बड़ी संख्या में महिलाएं अपनी स्वास्थ्य जांच करवा रही हैं। ऐसे में स्वास्थ्य जांच की कोई इच्छुक महिला न रह जाये, इसलिए अभियान को विस्तार दिया गया। अभियान का मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक महिला कर्मचारियों एवं उनके आश्रित लाभार्थियों को निवारक स्वास्थ्य सेवाओं के अंतर्गत सम्मिलित करना है जिससे स्वास्थ्य जांच एवं रोगों की प्रारंभिक पहचान के माध्यम से महिलाओं के स्वास्थ्य संरक्षण को सुदृढ़ किया जा सके।
इसके तहत संपूर्ण जोन में कुल 14 महिला स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया गया। ये शिविर केंद्रीय अस्पताल, बिलासपुर सहित बिलासपुर, रायपुर एवं नागपुर मंडलों के विभिन्न स्थलों पर आयोजित किए गए। कुल 486 महिलाओं की उच्च रक्तचाप, मधुमेह एवं मोटापा की जांच की गई। वहीं 366 महिलाओं की कैंसर जांच, 358 महिलाओं की एनीमिया जांच तथा 35 प्रसव पूर्व परीक्षण किए गए। सभी लाभार्थियों को जांच परिणामों के आधार पर आवश्यक चिकित्सा परामर्श प्रदान किया गया। उन्हें नियमित अनुवर्ती परीक्षणों हेतु मार्गदर्शन दिया गया।