पिंक ई-रिक्शा (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Nagpur News: सरकार ने महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए वर्ष भर पहले पिंक ई-रिक्शा योजना शुरू की। इसके लिए शहरों के अनुसार लाभार्थियों की संख्या भी निश्चित की गई। नागपुर में यह संख्या 1400 तय की गई लेकिन अब तक केवल 16 पिंक ई-रिक्शा ही सड़क पर दौड़ रहे हैं। योजना को लेकर सिटी में माहौल उत्साहपूर्वक नहीं है।
राज्य में महिलाओं और युवतियों के लिए रोजगार बढ़ाने, उन्हें आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने तथा महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सरकार ने 8 जुलाई, 2024 को पिंक ई-रिक्शा योजना को मंजूरी दी थी। यह योजना महाराष्ट्र के 17 प्रमुख शहरों में लागू की गई है। यह महिलाओं को पिंक रिक्शा खरीदने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है और रिक्शा चलाने के लिए अन्य सुविधाएं प्रदान करती है। राज्य में इस योजना में महिला लाभार्थियों की संख्या निर्धारित की गई है।
इनमें से 1,400 नागपुर में हैं। सरकार लाभार्थी महिलाओं को बैंक से 70 प्रतिशत ऋण प्रदान करती है। साथ ही 20 प्रतिशत वित्तीय भार वहन करती है। इससे लाभार्थियों पर 10 प्रतिशत वित्तीय भार पड़ता है। 3 लाख से कम आय वाली और गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली महिलाओं को प्राथमिकता दी जाती है। इसके लिए आयु सीमा 18 से 35 वर्ष निर्धारित की गई है। योजना में लाभार्थियों के चयन के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है और जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी कार्यालय में आवेदन करना होता है।
सिटी में पिंक ई-रिक्शा महज 16 ही दौड़ रहे हैं जबकि अन्य ई-रिक्शा की भरमार है। एसटी स्टैंड, रेलवे स्टेशन सहित अन्य मार्गों पर महिला ई-रिक्शा चालकों की संख्या बढ़ी है। महिलाओं के साथ ही युवतियां भी ई-रिक्शा के माध्यम से रोजगार हासिल कर रही हैं। कई महिलाएं तो स्कूल, ट्यूशन में भी बच्चों को लेकर आती-जाती हैं। यही उनकी कमाई का मुख्य स्रोत बन गया है।
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पिंक ई-रिक्शा योजना महिलाओं और युवतियों के लिए है। उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में सरकार का एक कदम है लेकिन अब तक 36 पिंक ई-रिक्शा का ही पंजीयन हुआ है।
– विजय चव्हाण, प्रादेशिक परिवहन अधिकारी, नागपुर ग्रामीण
अब तक 16 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इन्हें मंजूरी दी गई है। 1200 आवेदन प्राप्त हुए हैं लेकिन वे अधूरे हैं। अधूरे आवेदन होने के कारण ही मंजूरी नहीं मिल सकी है। इच्छुक महिलाओं को आवेदन योग्य तरीके से भरकर देना चाहिए। रिक्शा कर्ज योजना के तहत होने से ही प्रतिसाद कम मिल रहा है।
– सुनील मेसरे, जिला महिला व बाल विकास अधिकारी