
व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग (सोर्स-सोशल मीडिया)
Russia Reaffirms One China Policy Support: यूक्रेन युद्ध के बीच रूस ने अब एशिया के मोर्चे पर भी अपनी कूटनीतिक सक्रियता बढ़ाते हुए चीन का खुलकर समर्थन किया है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने रविवार को एक महत्वपूर्ण बयान में ताइवान को चीन का अविभाज्य अंग बताते हुए उसकी स्वतंत्रता के किसी भी प्रयास का पुरजोर विरोध किया।
इसके साथ ही, मॉस्को ने जापान की बढ़ती सैन्य ताकत और उसकी बदलती रक्षा नीतियों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए उसे ‘आग से न खेलने’ की चेतावनी दी है। रूस का यह रुख इस क्षेत्र में अमेरिका और उसके सहयोगियों के बढ़ते प्रभाव को रोकने की एक बड़ी कोशिश माना जा रहा है।
रूसी समाचार एजेंसी ‘TASS’ को दिए एक विस्तृत इंटरव्यू में सर्गेई लावरोव ने ‘वन चाइना पॉलिसी’ (One China Policy) के प्रति रूस की अटूट प्रतिबद्धता को दोहराया। लावरोव ने स्पष्ट किया कि रूस ताइवान की स्वतंत्रता के किसी भी रूप का समर्थन नहीं करता और इसे पूरी तरह से चीन का आंतरिक मामला मानता है।
लावरोव ने पश्चिमी देशों पर आरोप लगाया कि वे ताइवान का उपयोग चीन को रणनीतिक रूप से रोकने के लिए एक ‘हथियार’ के रूप में कर रहे हैं। रूस का यह बयान बीजिंग के साथ उसके ‘नो लिमिट्स’ (No Limits) गठबंधन को और अधिक मजबूती प्रदान करता है।
लावरोव ने अपने संबोधन में जापान की प्रधानमंत्री सनाए ताकाइची (Sanae Takaichi) के नेतृत्व में हो रहे सैन्य विस्तार पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने टोक्यो को चेतावनी देते हुए कहा कि वह ‘सैन्यीकरण’ के जिस रास्ते पर चल रहा है, उसके क्षेत्रीय स्थिरता पर विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।
रूस का मानना है कि जापान अपनी शांतिवादी संविधान की नीतियों को त्यागकर अमेरिका के इशारे पर अपनी आक्रामक क्षमताएं बढ़ा रहा है। लावरोव ने जापान से आग्रह किया कि वह अपने रक्षा बजट में की जा रही रिकॉर्ड बढ़ोतरी और सैन्य गठबंधनों पर गहराई से विचार करे।
रूसी विदेश मंत्री ने ताइवान को लेकर अमेरिका की भूमिका पर भी प्रहार किया। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देश ताइवान को हथियार बेचकर और वहां से सेमीकंडक्टर तकनीक को अमेरिका स्थानांतरित कर चीन पर आर्थिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
रूस का मानना है कि ताइवान समस्या का समाधान केवल बीजिंग के पास है और उसे अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने का पूरा कानूनी अधिकार है। लावरोव ने संकेत दिया कि अगर ताइवान जलडमरूमध्य में तनाव बढ़ता है, तो रूस और चीन 2001 की अपनी आपसी ‘मैत्री और सहयोग संधि’ के तहत मिलकर कार्य करेंगे।
यह भी पढ़ें: बांग्लादेश और पाकिस्तान की बढ़ती नजदीकी, यूनुस और पाकिस्तानी दूत की ‘हंसती तस्वीर’ से दिल्ली अलर्ट पर
विशेषज्ञों के अनुसार, रूस का यह बयान एक तीर से दो निशाने साधने जैसा है। चीन का समर्थन कर रूस ने अपनी पूर्वी सीमाओं पर एक सुरक्षित और मजबूत सहयोगी सुनिश्चित किया है, वहीं जापान को दी गई चेतावनी सीधे तौर पर अमेरिका के ‘इंडो-पैसिफिक‘ प्लान के खिलाफ एक चुनौती है।
रूस और चीन का यह बढ़ता सैन्य और कूटनीतिक तालमेल आने वाले समय में वैश्विक राजनीति के शक्ति संतुलन को पूरी तरह बदल सकता है। यह बयान स्पष्ट करता है कि अब मॉस्को और बीजिंग केवल अपने पड़ोस तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे सामूहिक रूप से पश्चिमी प्रभुत्व को चुनौती दे रहे हैं।






