
हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
Nagpur News: सक्करदरा में प्रस्तावित छत्रपति संभाजी महाराज सभागृह के निर्माण को लेकर प्रन्यास की ओर से टेंडर आमंत्रित किए गए। टेंडर की प्रक्रिया के तहत तकनीकी बोली रद्द किए जाने को चुनौती देते हुए प्रशांत कंस्ट्रक्शन कम्पनी की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई। साथ ही सबसे कम बोली लगानेवाले मेसर्स विजय कंस्ट्रक्शन कम्पनी की योग्यता पर भी गंभीर सवाल उठाए।
याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने प्रन्यास और अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने के आदेश दिए। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अतुल पांडे ने पैरवी की। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि प्रन्यास अधिकारियों की कार्यप्रणाली मनमानी, अनुचित और जानबूझकर याचिकाकर्ता को टेंडर प्रक्रिया से बाहर रखने की है।
याचिकाकर्ता का दावा है कि उसकी तकनीकी बोली को जानबूझकर खारिज किया गया ताकि मेसर्स विजय कंस्ट्रक्शन को अनुचित पक्षपात प्रदान किया जा सके, जिसे बाद में सफल बोलीदाता घोषित किया गया था। छत्रपति संभाजी महाराज सभागृह और क्रीड़ा संकुल के निर्माण के लिए ई-टेंडर मंगाया गया था। इस योजना की कुल टेंडर लागत 74,17,00,253 रुपये है। प्रशांत कंस्ट्रक्शन की ओर से यह याचिका अधिकृत पार्टनर ओंकार पलंदुरकर द्वारा दायर की गई है।
याचिकाकर्ता ने 2 सितंबर 2025 को अपनी बोली जमा की थी। हालांकि प्रन्यास ने 7 अक्टूबर 2025 को उसकी तकनीकी बोली को अयोग्य घोषित कर रद्द कर दिया। इसके विपरीत विजय कंस्ट्रक्शन और सादिक एंड कंपनी की तकनीकी बोलियों को स्वीकार कर लिया गया और 8 अक्टूबर 2025 को विजय कंस्ट्रक्शन को सबसे कम बोलीदाता घोषित किया गया।
याचिकाकर्ता का दावा है कि विजय कंस्ट्रक्शन ने पीडब्ल्यूडी, वर्धा से संबंधित एक योजना के कार्य पूर्णता मूल्य को अपडेट करने के लिए गलत गुणांक फैक्टर लागू किया। बिड दस्तावेज़ के अनुसार (आधार वर्ष 2025-26 मानते हुए) कम्पनी की एक योजना का सही मूल्यांकित मूल्य 36,86,65,063 रुपये होना चाहिए, जो आवश्यक न्यूनतम पात्रता मूल्य 37.09 करोड़ रुपये से कम है। निविदा की शर्तों के तहत बोलीदाता के पास 2 ‘एक्सकेवेटर’ होने चाहिए।
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याचिकाकर्ता के अनुसार कम्पनी ने अपने स्वामित्व के दस्तावेज़ के रूप में ‘बैकहो-लोडर’ का चालान संलग्न किया, जिसे तकनीकी रूप से ‘एक्सकेवेटर’ नहीं माना जाता है। याचिकाकर्ता का तर्क है कि उसके द्वारा सभी आवश्यक दस्तावेज जमा करने के बावजूद उसे कुछ मामूली आधार पर अयोग्य ठहराया गया, जैसे कि योजना प्रबंधक के सीवी और शैक्षणिक दस्तावेज जमा न करना और कंक्रीट बूम पंप के हस्तांतरण की तारीख में टाइपिंग की गलती होना शामिल था।






