ओबीसी महामोर्चा (सौजन्य-एक्स)
OBC Protest: नागपुर में कांग्रेस ने यशवंत स्टेडियम से संविधान चौक तक ओबीसी महामोर्चा निकाला गया। संविधान चौक पर सभा में परिवर्तित हुए मोर्चा में उन्होंने कहा कि हम मराठा समाज के विरोधी नहीं हैं। उन्हें आरक्षण मिलना चाहिए। जब मराठा समाज को ईडब्ल्यूएस का आरक्षण मिला तो हमने समर्थन दिया। मराठाओं को स्वतंत्र आरक्षण दिया जाना चाहिए लेकिन उन्हें ओबीसी कोटे से ही वह चाहिए, यह जिद है और इसका हम विरोध करते हैं।
उन्होंने मनोज जरांगे की ओर इशारा करते हुए कहा कि हम किसी की धमकियों से नहीं डरते और हमारी लड़ाई जारी रहेगी। उन्होंने सवाल किया कि ओबीसी समाज के लोगों को एक प्रमाणपत्र के लिए वर्ष लगता है और इधर मराठा समाज को एक घंटे में प्रमाणपत्र दिया जा रहा है। यह अन्याय नहीं है क्या?
वडेट्टीवार ने कहा कि ओबीसी समाज में अब मराठा समाज घुस रहा है। वह समाज पहलवान है। हिन्द केसरी रहा मराठा समाज और दूसरी ओर ओबीसी समाज जो कुपोषित है, उनके सामने ओबीसी कैसे टिकेंगे। इसलिए यह ओबीसी के अस्तित्व की लड़ाई है। एक ओर सरकार कह रही है कि ओबीसी आरक्षण को धक्का नहीं लगेगा और दूसरी ओर घुसपैठ हो रही है।
#LIVE : सकल ओबीसी महामोर्चा l नागपुर https://t.co/j2Ppa443Fo — Vijay Wadettiwar (@VijayWadettiwar) October 10, 2025
चेतावनी दी कि नागपुर का मोर्चा तो एक झांकी है। अगर अन्याय किया तो आंदोलन और तीव्र किया जाएगा। महायुति सरकार पर सवाल दागा कि क्या सिर्फ जरांगे के भरोसे पर सरकार बनाई है। सकल ओबीसी समाज ने भी साथ दिया। उसे सरकार भूल गई है। आज राज्य में ओबीसी युवाओं की आत्महत्या शुरू हो गई है।
उन्होंने कहा कि मराठवाड़ा में अतिवृष्टि से किसान तबाह हो गए हैं और सहकार मंत्री कहते हैं कि किसानों को कर्जमाफी की आदत लग गई है। चुनाव में कर्जमाफी का आश्वासन देते हैं और मुकर जाते हैं। इससे सरकार की नीयत दिख रही है। यह सरकार समाजों में झगड़ा और दूसरी ओर किसानों को भीख मांगने में लगा रही है। किसान इस सरकार को उसकी जगह दिखाएंगे।
विदर्भ ही नहीं राज्य के विविध क्षेत्रों से हजारों की संख्या में ओबीसी बांधव महामोर्चा में शामिल होने पहुंचे। दोपहर डेढ़ बजे के करीब यशवंत स्टेडियम से मोर्चा निकला। सभी के हाथों में पीले झंडे और सिर पर पीली टोपी देख ऐसा लगा रहा था कि पीली नदी बह रही हो। समाजबांधव जय ओबीसी, जय संविधान… 2 सितंबर का जीआर रद्द करो… के नारे लगा रहे थे।
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ओबीसी नेता छगन भुजबल के इस मोर्चा में शामिल होने की चर्चा समाजबांधवों में थी लेकिन वे नहीं आए। दरअसल, सरकार में शामिल सभी पार्टियों के ओबीसी नेताओं ने इस महामोर्चा से दूरी बना रखी थी जिससे समाज के पदाधिकारियों में नाराजगी भी दिखी। समाज के लिए कार्य करने वाले पदाधिकारियों अवंतिका लेकुरवाले, मनोहर धोंडे, भूषण करडेले, विलास काले, मंगेश ससाणे आदि को अपने विचार रखने का अवसर दिया गया। किसी पार्टी नेता को भाषण से दूर रखा गया था।