(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Nagpur Bhandewadi Patwari Suicide News: नागपुर के भांडेवाड़ी स्थित एनआईटी की करोड़ों की जमीन पर लेआउट तैयार कर प्लॉट बेचे जाने के मामले में निचली अदालत के बाद हाई कोर्ट द्वारा भी जमानत देने से इनकार कर दिया गया। हालांकि हाई कोर्ट के रुख को देखते हुए याचिका ही वापस ले ली गई थी किंतु इस मसले को अभी 3 दिन भी नहीं बीते कि इस भूमि घोटाले में आरोपित पटवारी अजयकुमार शंकरराव चव्हाण ने सोमवार को आत्महत्या कर ली।
30 अगस्त 2025 को जिला सत्र न्यायालय ने जमानत देने से इनकार किया गया था जिसके बाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया। हाई कोर्ट में भी सुनवाई के बाद 12 सितंबर 2025 को अजय ने स्वयं ही याचिका वापस ली थी।
जानकारी के अनुसार एनआईटी की इस जमीन पर लेआउट बनाकर प्लॉट बेचने से पहले जमीन का फर्जी 7/12 तैयार करने में पटवारी का हाथ होने का आरोप था। इस सरकारी दस्तावेज में पहले जमीन को एनआईटी की दिखाया गया था किंतु हेरफेर के बाद इसे निजी मालिक की बताया गया जिसके आधार पर ही प्लॉट की खरीद- फरोख्त हुई थी।
जानकारों के अनुसार पटवारी पर आईपीसी की धारा 467 भी लगाई गई थी जिसमें आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है। इसी धारा को गंभीर बताते हुए जिला न्यायालय ने जमानत देने से इनकार किया था। पुलिस के अनुसार शिकायतकर्ता मोहम्मद शमी आलम ताहिर हुसैन जो निजी कार्य में संलग्न हैं, ने 2010 में भांडेवाड़ी स्थित खसरा नंबर 116/1, 117/2 में 900 वर्गफुट का प्लॉट (नंबर-16) 1,80,000 रुपये में खरीदा था।
7/12 के रिकॉर्ड में करीमुल्लाह खान हाफिजुल्लाह खान और अन्य के नाम भूखंड मालिकों के रूप में दर्ज थे। 2017 में उन्होंने प्लॉट नंबर 228 को 3,87,000 रुपये में खरीदा। 2020 तक लगभग 44 प्लॉट बेचे जा चुके थे जिन पर खरीदारों ने अपने घर बना लिए थे।
शिकायतकर्ता को बाद में पता चला कि एनआईटी ने 1962 में आरोपियों से यह जमीन अधिग्रहित कर ली थी और इसे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और कचरा संग्रहण केंद्र के लिए आरक्षित रखा था। आरोपियों ने 60।04 एकड़ जमीन के अधिग्रहण के लिए मुआवजा भी प्राप्त किया था। यह जानने के बावजूद कि एनआईटी ने जमीन का अधिग्रहण कर लिया है, आरोपियों ने शिकायतकर्ता को धोखा देने के इरादे से प्लॉट नंबर 13-ए, 14-ए बेचने का समझौता किया।
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