उच्च न्यायालय परिसर में ‘सिंगल यूज प्लास्टिक बॉटल’ पर हटाया प्रतिबंध। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नागपुर: मुंबई उच्च न्यायालय परिसर में पर्यावरण के लिए हानिकारक मानी जाने वाली सिंगल यूज प्लास्टिक बॉटल्स के उपयोग पर पहले प्रतिबंध लगाया गया था। यह प्रतिबंध 24 जुलाई 2024 को, तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश के निर्देशों के आधार पर जारी परिपत्र के तहत लागू किया गया था। हालांकि, अब उच्च न्यायालय ने यह निर्णय वापस लेते हुए सिंगल यूज प्लास्टिक बॉटल्स के उपयोग की अनुमति दे दी है। वर्तमान मुख्य न्यायाधीश के आदेशानुसार नया परिपत्र जारी किया गया, जिससे यह प्रतिबंध हटा लिया गया है। इसके बाद अब न्यायालय परिसर में आने वाले नागरिक, वकील और अन्य लोग प्लास्टिक की पानी की बोतलें साथ ला सकते हैं।
जब जुलाई में यह प्रतिबंध लगाया गया, तब वकील संघों ने इस पर आपत्ति जताई थी। दिसंबर 2024 में लगभग 150 वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर इस निर्णय को शिथिल करने का अनुरोध किया था। पत्र में कहा गया था कि यद्यपि इस प्रतिबंध का उद्देश्य अच्छा है, परंतु इससे न्यायालय आने वाले नागरिकों और वकीलों को असुविधा हो रही है। अनेक बार वादियों को लंबी दूरी से यात्रा करके न्यायालय में आना पड़ता है, जिनमें वरिष्ठ नागरिक भी शामिल होते हैं। प्रवेश करते समय उनकी प्लास्टिक की बोतलें जप्त कर फेंक दी जाती थीं, जबकि इस निर्णय की जन जागरूकता बहुत कम थी।
पत्र में यह भी उल्लेख किया गया था कि सिंगल यूज प्लास्टिक बॉटल्स, पानी पीने का सबसे सस्ता और आसानी से उपलब्ध साधन हैं। न्यायालय परिसर में बहुत कम संख्या में वॉटर फिल्टर लगाए गए हैं और उनकी गुणवत्ता की नियमित जांच भी नहीं होती।
इन फिल्टर्स का पानी कितना सुरक्षित है, इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता और वे भी अक्सर परिसर से बाहर होते हैं, जिससे गंदगी की समस्या बनी रहती है। भारत में जल जनित बीमारियों को देखते हुए, इस प्रतिबंध से लोगों के स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है। वकीलों के पास महंगी 300 मि.ली. बोतलें खरीदने का विकल्प होता है। परंतु आम नागरिकों के पास यह सुविधा नहीं होती।
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पत्र में यह भी बताया गया कि प्रतिबंध से प्लास्टिक कचरा घटने की बजाय बढ़ गया है। न्यायालय के प्रवेश द्वार पर बोतलें जप्त कर फेंक दी जाती थीं, जिससे पानी की बर्बादी भी हो रही थी और अनावश्यक कचरा भी बढ़ रहा था। इसलिए यह प्रतिबंध हटाने की मांग की गई थी।
मुख्य न्यायाधीश ने इन मांगों को ध्यान में रखते हुए 16 अप्रैल को नया परिपत्र जारी किया और सिंगल यूज प्लास्टिक बॉटल पर लगाया गया प्रतिबंध हटा लिया। हालांकि, नए परिपत्र में यह स्पष्ट किया गया है कि बोतलों के उपयोग के बाद उनकी उचित रिसाइक्लिंग और निपटान की ज़िम्मेदारी सुनिश्चित की जाएगी।