वाड़ी नगर परिषद (फाइल फोटो)
Nagpur News: नागपुर जिले के वाड़ी संभाग दीर्घकालीन प्रतीक्षा के बाद वाड़ी नगर परिषद चुनावों की प्रक्रिया सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार प्रारंभ हो चुकी है। राज्य निर्वाचन आयोग के आदेशानुसार भौगोलिक प्रभागों का प्रारूप जारी किया गया, जिस पर नागरिकों व विभिन्न पक्षों द्वारा कुल 8 आक्षेप दाखिल किए गए हैं।
वाड़ी नगर परिषद की मुख्याधिकारी डॉ. ऋचा धाबर्डे के मार्गदर्शन में तैयार किए गए भौगोलिक प्रभाग रचना के प्रारूप को 18 अगस्त को जनहित में प्रसारित किया गया था। इसके तहत नागरिकों, राजनीतिक पक्षों और सामाजिक संगठनों से 31 अगस्त तक आक्षेप दर्ज करने का आह्वान किया गया। वाड़ी नगर परिषद अंतर्गत 25 वार्ड हेतु 2 सदस्य का एक प्रभाग बनाया गया है, जिसके अनुसार 13 प्रभाग की निर्माण हुआ है।
पुराने वार्ड आधारित चुनाव पद्धति की तुलना में इस बार अनेक परंपरागत बस्तियां अब अलग-अलग प्रभागों में विभाजित हो चुकी हैं। उदाहरणतः, गजानन सोसाइटी अब 3 अलग-अलग प्रभागों में विभाजित हो चुकी है, जिससे स्थानीय नागरिकों में भ्रम की स्थिति भी उत्पन्न हुई है। प्रभागवार दर्ज हुए आक्षेप और कौन-कहां उठा रहा सवाल इसमें प्रभाग क्रमांक 3 में अशोक माने (पूर्व सरपंच), दुर्योधन ढोने (कांग्रेस), विलास भोम्बले द्वारा आपत्ति, आरोप: प्रभाग रचना अन्यायपूर्ण व समान प्रतिनिधित्व के सिद्धांत के विरुद्ध, प्रभाग क्रमांक 5 व 6 में सामाजिक कार्यकर्ता प्रमोद जाधव ने आक्षेप दर्ज किया।
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प्रभाग क्रमांक 8 में शिवसेना वाड़ी शहर प्रमुख मधु मानके व सत्य साईबाबा सोसाइटी के नागरिकों ने आपत्ति जताई। प्रभाग क्रमांक 9 में राष्ट्रवादी कांग्रेस के हिमंत गडेकर ने इंद्रायणी नगर व त्रिलोक नगर की जनसंख्या वितरण पर प्रश्न उठाया। प्रभाग क्रमांक 12 व 13 में डॉ. आंबेडकर नगर के संदर्भ में संतोष नरवाडे, दत्ता वानखेडे, ईश्वर उके ने आक्षेप प्रस्तुत किए।
इन सभी आक्षेपों की सुनवाई 10 सितंबर तक नागपुर जिलाधिकारी कार्यालय में की जाएगी। सुनवाई उपरांत यदि आवश्यक हुआ तो जिला प्रशासन प्रस्ताव में संशोधन कर अंतिम प्रारूप राज्य निर्वाचन आयोग को मंजूरी हेतु भेजेगा। इसके बाद नया और अंतिम प्रारूप सार्वजनिक किया जाएगा।
जहां महाविकास आघाड़ी के घटक दलों ने इस रचना पर असंतोष जताया है, वहीं सत्ताधारी भाजपा ने इसे संतोषजनक बताया है। नगर परिषद प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यह रचना राज्य चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशानुसार की गई है।