नागपुर. इंदिरा गांधी शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल में मैन पॉवर की कमी गंभीर समस्या है. दरअसल पुरानी प्रवेश क्षमता के अनुसार पद मंजूर होने के कारण ही दिक्कतें आ रही हैं. तमाम तरह की कमी की पूर्ति के लिए प्रस्तावित मेडिसिन विंग का निर्माण कारगर साबित होगा. 500 बेड के मेडिसिन विंग के प्रस्ताव को प्रशासकीय मान्यता की प्रतीक्षा है. यह जानकारी मेयो के नवनियुक्त अधिष्ठाता डॉ. संजय बिजवे ने दी.
उन्होंने ‘नवभारत’ से चर्चा में बताया कि फिलहाल अस्पताल में वार्डों की कमी है लेकिन मेडिसिन विंग के निर्माण के साथ ही काफी हद तक समस्याएं हल हो जाएंगी. बेड बढ़ने से मैन पॉवर भी मिलेगा. फिलहाल परिसर में नई प्रशासकीय इमारत का कार्य जारी है. 6 मजला इमारत में एक मजला बढ़ाया जा रहा है. सर्जिकल इमारत में सेंट्रल लैब तैयार की जाएगी. इसके लिए जगह भी चिह्नित कर ली गई है. दरअसल प्रयोगशाला किसी भी अस्पताल का ‘हृदय’ होती है. नियमित जांच की सभी प्रयोगशालाओं को एक जगह लाने की तैयारी की जा रही है. उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अस्पताल विकास के लिए 300 करोड़ मंजूर किए हैं जिनसे विविध विकास कार्य किए जाएंगे.
महाविद्यालय में पहले एमबीबीएस की 60 सीटों को ही मंजूरी थी लेकिन अब बढ़ते-बढ़ते संख्या 200 तक पहुंच गई है, जबकि मंजूर पद पुरानी सीटों के अनुसार ही हैं. यही वजह है कि नर्सिंग स्टॉफ से लेकर वर्ग-3 और वर्ग-4 के पदों की कमी है. पद बढ़ाने के संबंध में प्रस्ताव प्रशासन को भेजा गया है. सरकार ने वर्ग-3 के पद भरने का निर्णय लिया है. उन्होंने बताया कि महाविद्यालय में हॉस्टल की कमी भी बनी हुई है. वर्तमान में 1 पीजी हॉस्टल और 3 यूजी हॉस्टल हैं, जबकि प्रथम वर्ष एमबीबीएस की सीटें 200 और स्नातकोत्तर की 123 हैं.
भविष्य में छात्रों को बेहतरीन खेल सुविधाएं उपलब्ध कराने पर जोर दिया जाएगा. इनडोर गेम्स, म्यूजिक रूम जैसी तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. अस्पताल के विकास के लिए ‘पॉजिटिव फोर्स’ तैयार करने की आवश्यकता है. प्रशासकीय इमारत के तैयार होने के बाद सभी विभाग एक जगह शिफ्ट हो जाएंगे. अस्पताल के भीतर ही अधिष्ठाता और अधीक्षक कार्यालय भी शुरू किया जाएगा क्योंकि अस्पताल ही हमारा केंद्र बिंदु है.