विपिन इटनकर और चंद्रशेखर बावनकुले (सौजन्य-नवभारत)
M-Sand Available in Brass: रेत उत्खनन पर नियंत्रण के लिए राज्य सरकार ने कृत्रिम रेत यानी एम-सैंड नीति लागू की। पर्यावरण की रक्षा की दृष्टि से जिले में अधिक से अधिक यूनिट लगाने की अपील राजस्व व जिले के पालक मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने संबंधित विषय पर आयोजित कार्यशाला में की। नियोजन भवन में आयोजित इस कार्यशाला में जिलाधिकारी विपिन इटनकर, जिला खनिकर्म अधिकारी अतुल दोड, भूविज्ञान व खनिकर्म संचालनालय के उपसंचालक श्रीराम कड़, जिले के सभी उपविभागीय अधिकारी, तहसीलदार आदि उपस्थित थे।
बावनकुले ने कहा कि प्रत्येक जिलाधिकारी कम से कम 50 से 100 क्रशर को प्रोत्साहित करें। नये व पुराने क्रशर को औद्योगिक निदी का लाभ मिलेगा। नैसर्गिक रेत 600 रुपये प्रति ब्रास है लेकिन एम-सैंड मात्र 200 रुपये ब्रास में उपलब्ध होगा। जिलाधिकारी इटनकर का उन्होंने इस उपक्रम को गति देने के लिए अभिनंदन भी किया।
बावनकुले ने कहा कि जिले में बड़े पैमाने पर सरकारी निजी निर्माण कार्य हो रहे हैं। सभी सरकारी निर्माण कार्यों में एम-सैंड का उपयोग चरणबद्ध तरीके से अनिवार्य किया जाएगा। इसलिए बड़े पैमाने पर इसकी जरूरत पड़ेगी। साथ ही पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी।
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उन्होंने यूनिट स्थापित करने के संदर्भमें तेज गति से कार्य करने के निर्देश प्रशासन को दिये, विकसित नागपुर बनाने के लिए न्यू नागपुर का निर्माण होगा जिसमें बड़े पैमाने पर रेत लगेगा। कृत्रिम रेत महत्वपूर्ण साबित होगा। कार्यशाला में उपस्थित क्रशर संचालकों से भी उन्होंने संवाद साधा। जिलाधिकारी ने एम-सैंड की वर्तमान स्थिति व शुरू प्रकल्पों की विस्तार से जानकारी दी। जिला खनिकर्म अधिकारी अतुल दोड ने इस संदर्भ में प्रेजेंटेशन दिया।