लालबाग राजा विसर्जन (pic credit; social media)
Immersion of Lalbagh Raja: गणेशोत्सव का सबसे बड़ा आकर्षण ‘लालबाग का राजा’ इस बार परंपरा से अलग हो गया। अनंत चतुर्दशी पर शनिवार दोपहर मंडल से रवाना हुई शोभायात्रा रविवार सुबह गिरगांव चौपाटी तक तो पहुंच गई, लेकिन मूर्ति का समुद्र में विसर्जन देर रात तक अटक गया। इससे भक्तों में मायूसी और नाराजगी दोनों देखने को मिली।
गिरगांव चौपाटी पर विसर्जन देखने पहुंचे हजारों भक्त घंटों इंतजार करते रहे। देरी से परेशान भक्त हाथ जोड़कर बप्पा से प्रार्थना करते दिखे—“अगर हमसे कोई भूल हुई हो तो माफ करना बप्पा।” वहीं मंडल के कार्यकर्ता और पुलिस-मनपा कर्मचारी भी इस देरी से चिंतित दिखे।
मंडल के पदाधिकारियों का कहना है कि अरब सागर में ज्वार के समय और कुछ तकनीकी कारणों की वजह से विसर्जन में देरी हुई। मंडल सचिव सुधीर सालुंके ने माना कि परंपरा में व्यवधान से भक्त निराश हुए और भविष्य में ऐसी चूक न हो, इसके लिए सावधानी बरती जाएगी।
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विवाद का एक और कारण यह रहा कि इस बार विसर्जन के लिए समुद्र में राफ्ट उपलब्ध कराने का ठेका मुंबई के पारंपरिक मछुआरों (कोलियों) को देने के बजाय गुजरात की एक प्राइवेट कंपनी को दे दिया गया। स्थानीय कोलियों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि पीढ़ियों से उनका ही समाज यह जिम्मेदारी निभाता आया है, लेकिन इस बार उन्हें बिना जानकारी दिए किनारे कर दिया गया। उनका कहना है कि इससे न केवल परंपरा टूटी, बल्कि विसर्जन में भी दिक्कतें बढ़ीं।
‘लालबाग का राजा’ मुंबई का सबसे लोकप्रिय गणेश मंडल है। हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं और अनंत चतुर्दशी को इसका विसर्जन गिरगांव चौपाटी पर विशेष आकर्षण का केंद्र रहता है। इस बार परंपरा टूटने से श्रद्धालु ही नहीं, बल्कि शहरभर में चर्चा और निराशा का माहौल देखने को मिला।
मंडल ने विसर्जन में हुई देरी पर खेद जताते हुए आश्वासन दिया है कि अगले साल से पारंपरिक तरीकों और व्यवस्थाओं का सम्मान करते हुए समय पर विसर्जन सुनिश्चित किया जाएगा।