समोसा, जलेबी (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Health Ministry: भारतीय स्वास्थय मंत्रालय ने देश में लोगों में बढ़ रहे माटापे की समस्या पर चिंता व्यक्त की है। स्वास्थ मंत्रालय के अनुसार, अनुमान लगाया जा रहा है कि साल 2025 तक भारत में कुल 4439 करोड़ लोग अधिक वजन और मोटापे जैसी बीमारियों से पीड़ित हो जाएंगे। अगर ऐसा होता है तो भारत अमेरिका के बाद दूसरा सबसे प्रभावित देश बन जाएगा। अब तक के आंकड़ा देखा जाए तो हर 5 में से एक शहर का एक इंसान ओवरवेट का शिकार है।
आज के समय में बच्चों में बढ़ता मोटापा, खाने में फास्टफूड और घटती शारीरिक गतिविधियों ने चिंता और भी ज्यादा बढ़ा दी है। अब जल्द ही बिस्किट, जलेबी और समोसे में सरकार की ओर से चेतावनी दिखाई देने लगेगी और वॉर्निंग दी जाएगी।
इस समस्या से निकलने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश भर के सभी केंद्रीय संस्थानों को खाने के सामनों में ‘ऑयल और शुगर बोर्ड’ लगाने के निर्देश दिए है। इसमें नागपुर का AIIMS भी शामिल है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने संस्थानों को वॉर्निंग बोर्ड लगाने के निर्देश दिए है, जिन पर आपके नाश्ते में छिपे हुए फैट और शुगर की मात्रा साफ-साफ लिखी हो।
मंत्रालय की इस पहल को जंक फूड को तंबाकू की तरह ही गंभीर खतरे की तरह देख रहा है। ये बोर्ड सरकारी संस्थानों को लिए चेतावनी की तरह काम करेगा। इससे लोगों में ये जागरूकता लाई जाएगी, जिन फूड आइटम्स को वे अपनी संस्कृति का हिस्सा मानते है, उनमें फैट और शक्कर की मात्रा कितनी अधिक होती है।
AIIMS नागपुर के अधिकारियों ने इस मंत्रालय के इन निर्देशों की पुष्टि की है। अब कैफे और सार्वजनिक जगहों पर इस तरह के चेतावनी बोर्ड लगाए जाने के निर्देश दिए गए है। इन फूड आइटम्स में सिर्फ समोसा और जलेबी ही नहीं बल्कि लड्डू, वड़ा पाव और पकौड़े भी जांच के दायरे में शामिल होंगे।
कार्डियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया की नागपुर शाखा के अध्यक्ष डॉ. अमर आमले ने इस पर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह शुरुआत है उस दौर की जब खाने की लेबलिंग उतनी ही गंभीर होगी जितनी सिगरेट की चेतावनी। शुगर और ट्रांस फैट अब नए तंबाकू बन गए हैं। लोगों को यह जानने का पूरा अधिकार है कि वे क्या खा रहे हैं।
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वरिष्ठ मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनील गुप्ता ने कहा, ‘यह खाने पर प्रतिबंध लगाने का मामला नहीं है। लेकिन अगर लोगों को पता चले कि एक गुलाब जामुन में पाँच चम्मच चीनी होती है, तो वे शायद दो बार सोचेंगे।’ डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम मधुमेह, हृदय रोग और उच्च रक्तचाप जैसी गैर-संचारी बीमारियों के खिलाफ एक बड़े अभियान का हिस्सा है, जो सीधे तौर पर खान-पान की आदतों से जुड़ी हैं।
नागपुर इस पहल को अपनाने वाले पहले शहरों में से एक होगा। किसी खाद्य पदार्थ पर प्रतिबन्ध नहीं होगा, लेकिन प्रत्येक स्वादिष्ट नाश्ते के बगल में एक रंगीन साइनबोर्ड लगा होगा जिस पर लिखा होगा: “समझदारी से खाएं, आपका भविष्य का शरीर आपको धन्यवाद देगा।”