सदर सब रजिस्ट्रार ऑफिस (सोर्स: सोशल मीडिया)
Nagpur City News: 30 लाख से अधिक की संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन की जानकारी आयकर विभाग को देना अनिवार्य है लेकिन देखा जा रहा है कि सब-रजिस्ट्रार ऑफिस इसमें जानबूझकर ‘झोल’ कर रहा है, ताकि बड़े दिग्गज लोगों की खरीद-फरोख्त को आयकर विभाग की नजरों से बचाया जा सके। हिंगना में मिली सफलता के बाद सक्करदरा और फिर बुलढाना में कार्रवाई हुई। अब सदर और दिघोरी सब-रजिस्ट्रार ऑफिस की ‘घेराबंदी’ की गई है।
सदर में पिछले 2 दिनों से कार्रवाई जारी है जिसमें 2,100 करोड़ रुपये का लेन-देन छिपाने का खुलासा हुआ है। दिघोरी का फिगर आना बाकी है। यह भी जानकारी मिल रही है कि पुणे के एक कार्यालय में हुई कार्रवाई में 2,200 करोड़ रुपये की संपत्ति छिपाई गई।
आयकर विभाग के इंटेलिजेंस एंड क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन (आईएंडसीआई) विंग की कार्रवाई जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, और सफलता मिल रही है। उससे यही अनुमान लगाया जा रहा है कि यह सब ‘संगठित लोगों’ द्वारा किया जा रहा है।
आयकर बचाने से लेकर राजस्व बचाने का प्रयास इसके जरिए हो रहा है और इस काम में रजिस्ट्रार विभाग के बड़े अधिकारी भी लिप्त हो सकते हैं। यह अलग बात है कि विभाग ‘निजी कंपनी’ का हवाला देकर खुद को बचाने का प्रयास रहा है परंतु यह भी सच्चाई है कि अधिकारी इस मुद्दे पर चुप्पी साध चुके हैं।
पिछली बार हिंगना कार्यालय में एक ही सौदे 100 करोड़ रुपये के छिपाये गए थे। इस बार सदर में भी 50 से 75 करोड़ के सौदे की जानकारी छिपाने की बात सामने आ रही है। इन मामलों में दलाल और चार्टर्ड एकाउंटेंटों की भूमिका पर काफी संदेह है लेकिन अब तक किसी भी प्रोफेशन पर कार्रवाई नहीं हुई है।
इस सिलसिले का खुलासा तब हुआ जब कुछ लोगों ने करोड़ों की संपत्ति लेने का जिक्र अपने आयकर रिटर्न में दिखाया। वहीं विक्रेताओं (बिल्डरों) ने इसकी जानकारी अपनी रिटर्न में नहीं दिखाई तो पूरा का पूरा मामला सामने आ गया। जब विभाग द्वारा दी गई जानकारी से मैच किया गया तो देखा गया कि विभाग की ओर से कोई जानकारी ही नहीं दी जा रही थी। इसके बाद सर्वे किया गया।
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सूत्रों की मानें तो कम से कम 760 प्रॉपर्टी की जानकारी छिपाई गई है। किसकी प्रॉपर्टी की जानकारी छिपाई, यह क्यों किया गया? यह समझने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं कई लोगों ने अपने रिटर्न में इसकी जानकारी दी है। इतने बड़े पैमाने पर घालमेल होने से कालाधन के इस्तेमाल की भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। नकदी में भुगतान होने की भी प्रबल संभावना जताई जा रही है।
विभागीय सूत्रों ने बताया कि जांच के दौरान कई सहकारी बैंकों की भूमिका पाई गई है। इसके बाद विभाग की नजर में सहकारी बैंकों पर भी टिक गई है। इतना ही नहीं, इन बैंकों में नकदी जमा और निकासी भी बड़े पैमाने पर होने के संकेत मिले हैं जिसे बैंक छिपा रहे हैं। अब विभाग ऐेसे ट्रांजेक्शन को भी टारगेट बना सकता है।