29 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण, फोटो- सोशल मीडिया
Naxal Surrender in Chhattisgarh: दंतेवाड़ा और नारायणपुर में हुए आत्मसमर्पण में कई कुख्यात और इनामी नक्सली भी शामिल हैं। यह घटनाक्रम सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी सफलता माना जा रहा है। आत्मसमर्पण करने वालों में से कई पर कुल 55 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
दंतेवाड़ा जिले में 21 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जिनमें 13 इनामी नक्सली शामिल हैं। इन पर 25.50 लाख रुपये का इनाम था। वहीं, नारायणपुर में 8 नक्सलियों ने हथियार डाल दिए, जिन पर कुल 30 लाख रुपये का इनाम घोषित था। आत्मसमर्पण करने वालों में सुखलाल जुर्री, हिमांशु मिडियाम, कमला गोटा और राजू पोडियाम जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं। इन सभी ने पुलिस और सुरक्षाबलों के सामने अपने-अपने हथियार सौंप दिए।
दरअसल छत्तीसगढ़ सरकार ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए पुनर्वास नीति बनाई है। इसके तहत उन्हें 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता, रोजगार, शिक्षा और पुनर्वास की अन्य सुविधाएं दी जाती हैं। यही वजह है कि नक्सल संगठन छोड़ने की प्रवृत्ति लगातार बढ़ रही है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, दंतेवाड़ा जिले में पिछले 18 महीनों में 390 से अधिक नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं, जिनमें 99 इनामी नक्सली भी शामिल हैं। यह अपने आप में नक्सलवाद के कमजोर होने का बड़ा संकेत है। नारायणपुर में भी इस साल अब तक 148 नक्सली सरेंडर कर चुके हैं। आत्मसमर्पण करने वाले ज्यादातर नक्सलियों पर पुलिस पर हमला, सड़क काटने, पेड़ गिराने, बैनर-पोस्टर लगाने और ग्रामीणों को डराने-धमकाने जैसे गंभीर आरोप हैं।
बीते साल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी रायपुर में कहा था कि मार्च 2026 तक देश को पूरी तरह नक्सलवाद से मुक्त कर दिया जाएगा। शाह के अनुसार, दिसंबर 2023 से एक साल के भीतर 2619 नक्सली या तो गिरफ्तार हुए हैं, आत्मसमर्पण कर चुके हैं या फिर मुठभेड़ों में मारे गए हैं। नक्सली हिंसा में मारे जाने वाले लोगों की संख्या में भी 70% तक कमी आई है।
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विशेषज्ञों का मानना है कि सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई और विकास कार्यक्रमों की पहुंच ने नक्सली कैडर को तोड़ना शुरू कर दिया है। नियद नेल्लानार जैसे विकास प्रोजेक्ट्स ने ग्रामीणों को रोजगार और शिक्षा का विकल्प दिया है, जिससे नक्सलियों के लिए नए सदस्यों की भर्ती मुश्किल हो रही है। छत्तीसगढ़ में लगातार हो रहे आत्मसमर्पण इस बात का संकेत हैं कि नक्सली संगठन अपनी पकड़ खोते जा रहे हैं और विकास तथा सुरक्षा अभियानों की संयुक्त रणनीति सही दिशा में बढ़ रही है।