
इंदिरा गांधी शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल नागपुर (सोर्स: सोशल मीडिया
Nagpur IGMC Harassment Case: इंदिरा गांधी शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल नागपुर के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्राध्यापक द्वारा 4 निवासी डॉक्टरों के साथ मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न के मामले ने नया मोड़ ले लिया है। सोमवार को इस मामले में तहसील पुलिस थाने में शिकायत दर्ज की। वहीं मंगलवार को सेंट्रल मार्ड के नेतृत्व में पुलिस आयुक्त से मिलाकर शिकायत को एफआईआर में तब्दील करने की मांग की गई।
सेंट्रल मार्ड के जनरल सेक्रेटरी डॉ. सुयश धावणे और मेयो मार्ड के अध्यक्ष डॉ. आदित्य थेटे ने पुलिस कमिश्नर रविंद्र कुमार सिंगल से मुलाकात की। इस दौरान तहसील थाने में की गई शिकायत को तुरंत एफआईआर में तब्दील करने और प्रभावित निवासी डॉक्टरों को सुरक्षा के लिए दखल लेने की मांग की।
एफआईआर में देरी से जांच में रुकावट आ सकती है जिससे आरोपी गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। डिजिटल/फिजिकल सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं या शिकायत करने वालों पर दबाव डाल सकते हैं। उन्होंने सभी डिजिटल और डॉक्यूमेंट्री सबूतों को सख्ती से सुरक्षित रखने, एक निष्पक्ष, पारदर्शी, बिना किसी भेदभाव के और समय पर जांच करने को कहा, ताकि बिना देर किए न्याय सुनिश्चित हो सके।
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मेडिकल संस्थानों में किसी भी तरह की परेशानी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। एक स्वस्थ पढ़ाई और काम की जगह का माहौल बनाए रखने के लिए रेजिडेंट डॉक्टरों की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करना जरूरी है। पुलिस आयुक्त ने जल्द ही निर्णय लेने का आश्वासन दिया।
उल्लेखनीय है कि जिन 4 निवासी डॉक्टरों ने शिकायत की है उनमें एक महिला निवासी डॉक्टर का भी समावेश है। डॉक्टरों का रोष विभाग प्रमुख को लेकर ज्यादा है। हालांकि मेयो के डिन ने मामले की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी है। कमेटी को 4 दिन के भीतर रिपोर्ट देने के निर्देश दिये गये हैं। इस बीच डीन ने विभाग प्रमुख को छुट्टी पर भेज दिया गया है। जांच पूरी होने तक विभाग प्रमुख को सख्ती के अवकाश पर भेजा गया है।






