हाई कोर्ट ने जारी किया नोटिस (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Nagpur News: प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना (PMKKKY) के तहत स्वयं सहायता समूहों को कृषि उपकरण उपलब्ध कराने के नाम पर करोड़ों रुपये की वित्तीय धोखाधड़ी की सघन जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता अनिकेत कुत्तरमारे ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की।
याचिका पर बुधवार को सुनवाई के बाद न्यायाधीश अनिल किल्लोर और न्यायाधीश रजनीश व्यास ने सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने के आदेश दिए। याचिका में केंद्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार के विभिन्न विभागों और कई वरिष्ठ अधिकारियों सहित कुल 12 से अधिक प्रतिवादियों को पक्षकार बनाया गया है। याचिकाकर्ता की अधिवक्ता समीर सोनवने ने पैरवी की।
याचिका के अनुसार वर्ष 2021-22 में नागपुर जिले के 100 पात्र स्वयं सहायता समूहों (महिला और पुरुष बचत गट) को कृषि उपकरण प्रदान करने के लिए 8 करोड़ 71 लाख रुपये की राशि आवंटित की गई थी। यह राशि प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना के तहत दी जानी थी जिसका उद्देश्य खनन प्रभावित क्षेत्रों और समुदायों का कल्याण करना है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि सरकारी अधिकारियों, निजी व्यक्तियों और निजी फर्मों ने मिलकर इस सरकारी फंड में एक बड़ी धोखाधड़ी को अंजाम दिया और करोड़ों रुपये का गबन किया। याचिका में विशेष रूप से तत्कालीन सहायक आयुक्त, समाज कल्याण विभाग, नागपुर की संलिप्तता का आरोप लगाया गया है जिन्हें इस मामले में शामिल होने के कारण अब निलंबित कर दिया गया है।
याचिका में बताया गया कि समता सैनिक दल के सक्रिय सदस्य याचिकाकर्ता अनिकेत कुत्तरमारे ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी हासिल की जिससे इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ। आरटीआई से मिली जानकारी चौंकाने वाली थी और इसमें फंड के दुरुपयोग और धोखाधड़ी का स्पष्ट रूप से पता चला।
याचिकाकर्ता को 2 जनवरी 2024 की एक जांच रिपोर्ट भी मिली जिसमें योजना के कार्यान्वयन में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को उजागर किया। आरटीआई के जवाब में यह भी पता चला कि कम से कम 7 स्वयं सहायता समूह पूरी तरह से फर्जी पाए गए। जांच समिति जब इन समूहों के सदस्यों से मिली तो उन्होंने अपने बैंक खाते में किसी भी राशि के जमा होने के बारे में अनभिज्ञता व्यक्त की।
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता सोनवने ने कहा कि मामले की जांच में पाया गया कि बचत गटों के अध्यक्षों और सचिवों से कोरे चेक पर हस्ताक्षर लिए गए थे। कुछ मामलों में समूहों को कृषि उपकरण दिए गए लेकिन बाद में उन्हें अधिकारियों या एजेंटों द्वारा वापस ले लिया गया। इसके अलावा आपूर्तिकर्ता एजेंसी साई ट्रेडिंग एजेंसी अपने दिए गए पते पर नहीं पाई गई। इस तरह से कंपनी भी फर्जी होने का खुलासा हुआ।
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1. नागपुर जिले में योजना के कार्यान्वयन की पूरी प्रक्रिया को धोखाधड़ी और कानून के उल्लंघन के कारण रद्द किया जाए।
2. पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) को धोखाधड़ी की जांच करने और कानून के उचित प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया जाए।
3. दोषी अधिकारियों को तत्काल निलंबित किया जाए और उनके खिलाफ विस्तृत विभागीय जांच की जाए।
4. गबन की गई धनराशि और कृषि उपकरणों की वसूली की जाए और उन्हें पात्र लाभार्थियों तक पहुंचाया जाए।
5. प्रतिवादी तत्कालीन सहायक आयुक्त के कार्यकाल के दौरान लागू की गईं अन्य योजनाओं की भी जांच का निर्देश दिया जाए।