फुटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Supreme Court on Futala Lake: केंद्र सरकार की वेटलैंड सूची में शामिल होने पर फुटाला तालाब में किसी तरह का विकास या सौंदर्यीकरण कार्य नहीं किया जा सकता है। इसके बावजूद नियमों को ताक पर रखकर फुटाला में सौंदर्यीकरण के नाम पर फाउंटेन और दर्शक दीर्घा तैयार की गई है। इसे लेकर स्वच्छ एसोसिएशन की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई। फिर हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश को चुनौती देते हुए स्वच्छ एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया।
2 वर्षों तक चली सुनवाई के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने दलीलों को खत्म कर फैसला सुरक्षित रख लिया है। फुटाला तालाब के सौंदर्यीकरण की जिम्मेदारी संभाल रहे नागपुर मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एसके मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि तालाब 2017 के नियमों के तहत ‘आर्द्रभूमि’ (वेटलैंड) की परिभाषा में नहीं आता, खासकर इसलिए क्योंकि यह एक मानव निर्मित जल स्रोत है। यह तालाब कृत्रिम रूप से बनाया गया और इसलिए जिलाधिकारी द्वारा पर्यावरण विभाग को जारी 23 मई 2023 के पत्र के अनुसार यह आर्द्रभूमि नहीं है।
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता एसके मिश्रा ने कहा कि हेरिटेज समिति ने सभी प्रासंगिक पहलुओं पर विचार करने के बाद संबंधित गतिविधियों को करने के लिए आवश्यक अनुमति प्रदान की। प्रस्तावित बैंक्वेट हॉल और रेस्टोरेंट स्थायी प्रकृति के नहीं थे बल्कि एक तैरते हुए प्लेटफॉर्म से संचालित किए जाने थे। इसे जलाशय में निर्माण नहीं कहा जा सकता। इसके विपरीत, संगीतमय फव्वारे के संचालन से जलाशय और जलीय जीवन का कायाकल्प हुआ। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि तालाब में किसी भी प्रकार का स्थायी निर्माण नहीं किया जा रहा है।
दर्शक दीर्घा और पार्किंग प्लाजा पर याचिकाकर्ता की ओर से उठाई गई आपत्ति को लेकर हाई कोर्ट ने फैसले में कहा था कि संबंधित प्राधिकरणों से विधिवत मंजूरी लेने के बाद इसका निर्माण किया जा रहा है। शपथपत्रों के साथ अदालत के समक्ष इस संदर्भ में दस्तावेज भी रखे गए। इन दस्तावेजों को याचिकाकर्ता ने चुनौती नहीं दी है। ऐसे में 18 अक्टूबर 2019 और 1 सितंबर 2022 को दी गई मंजूरी के अनुसार कार्य जारी रहेगा।
इसी तरह से 30 जून 2022 और 6 फरवरी 2023 को हेरिटेज कमेटी द्वारा दी गई मंजूरी तथा जमीन के उपयोग बदलने को लेकर राज्य सरकार के नगर विकास विभाग द्वारा दी गई हरी झंडी पर भी हाई कोर्ट ने मुहर लगा दी थी जिस पर आपत्ति जताते हुए सुको में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई।
यह भी पढ़ें – राउत-ठाकरे और केदार चुनेंगे राज्यों के जिलाध्यक्ष, कांग्रेस ने सौंपी जिम्मेदारी, जाएंगे पंजाब-ओडिशा