नागपुर में VHP और बजरंग दल का प्रदर्शन। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नागपुर: महल गांधी गेट परिसर में छत्रपति शिवाजी महाराज की पुतले के सामने सोमवार को विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने औरंगजेब का प्रतिकात्मक पुतला जलाकर विरोध प्रदर्शन किया। छत्रपति संभाजी नगर स्थित औरंगजेब की कब्र हटाए जाने की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया गया। छत्रपति संभाजीनगर स्थित मुगल शासक की कब्र को हटाने की मांग को लेकर विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल द्वारा महाराष्ट्र में राज्यव्यापी आंदोलन किया गया।
छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज उदयनराजे भोसले द्वारा की गई मांग के समर्थन में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने सोमवार को आंदोलन किया। आंदोलन में संगठन की ओर से चेतावनी दी गई है कि यदि सरकार यह कब्र हटाने में असमर्थ रही, तो बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता छत्रपति संभाजी नगर के लिए कूच करेंगे और कब्र हटाने के लिए कारसेवा करेंगे।
इस विवाद के चलते छत्रपति संभाजीनगर ग्रामीण पुलिस ने खुल्दाबाद तहसील में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। पुलिस ने कब्र की सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ, संभाजीनगर ग्रामीण पुलिस, होमगार्ड और पुरातत्व विभाग के सिक्योरिटी गार्ड्स को तैनात किया है। खुल्दाबाद में आने-जाने वाले रास्तों पर स्टेट रिजर्व पुलिस फोर्स (एसआरपीएफ) की टुकड़ियां भी तैनात की गई हैं, ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके। लंबे समय से पुरातत्व विभाग द्वारा इस कब्र की निगरानी की जा रही है, लेकिन हाल के घटनाक्रम ने इसे चर्चा का केंद्र बना दिया है।
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औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। जहां एक ओर हिंदू संगठन इसे हटाने की मांग कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग इसे ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित करने की वकालत कर रहे हैं। इस मुद्दे ने राज्य में सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के बीच भी बहस छेड़ दी है। प्रशासन ने हालात पर काबू पाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं, लेकिन यह विवाद अभी खत्म होता नजर नहीं आ रहा। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और तनाव बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
औरंगजेब की कब्र को लेकर महाराष्ट्र में राजनीति गरमा गई है। हिंदू संगठनों ने 17 मार्च को हर तहसील कार्यालय में जाकर कब्र हटाने की मांग के लिए निवेदन देने की घोषणा की है। संगठनों का कहना है कि औरंगजेब का इतिहास हिंदुओं पर अत्याचारों से भरा हुआ है, और उसकी कब्र का होना उनके जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है। प्रदर्शनकारियों का यह भी कहना है कि अगर सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती, तो वे आगे कड़े कदम उठाने से नहीं हिचकेंगे।