लाल चंदन (सौजन्य-सोशल मी़डिया)
Nagpur News: नागपुर में रेल विभाग के लिए केशव शिंदे की जमीन का अधिग्रहण किया गया जिसका मुआवजा तय कर अदा भी कर दिया गया किंतु इस भूमि पर स्थित एक लाल चंदन के पेड़ का मुआवजा नहीं दिया गया। अत: लाल चंदन के पेड़ के मुआवजे के लिए केशव शिंदे और उनके पुत्रों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की।
इस पर हाई कोर्ट ने सेंट्रल रेलवे के उपविभागीय मुख्य कार्यकारी अभियंता को 1 करोड़ रुपए हाई कोर्ट में जमा करने का आदेश दिया था। मुआवजा देने में हो रही देरी को देखते हुए इसमें से फिलहाल 50 लाख रुपए याचिकाकर्ता को अदा करने का आदेश भी दिया था किंतु अब यह दांव उल्टा पड़ता दिखाई दे रहा है। हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार वन विभाग द्वारा बेंगलुरु के ‘वुड साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट’ से मूल्यांकन कराया गया।
संस्था की रिपोर्ट में यह लाल चंदन नहीं बल्कि ‘टेरोकार्पस मार्सुपियम’ होने की जानकारी उजागर हुई है जिससे अब शिंदे परिवार को किए गए 50 लाख रुपए के भुगतान को वापस पाने के लिए रेलवे ने हाई कोर्ट में अर्जी दायर की। रिपोर्ट के अनुसार ‘टेरोकार्पस मार्सुपियम’ की कीमत केवल 10,981 रु. आंकी गई है।
कोर्ट ने गत आदेश में कहा था कि भूमि अधिग्रहण के लिए घोषित अवार्ड के अनुसार पता चलता है कि भूमि पर 100 साल से भी ज्यादा पुराना लाल चंदन का पेड़ है। चूंकि यह अवार्ड वर्ष 2018 में घोषित किया गया जिसके अनुसार भूमि तथा पेड़ का कब्जा प्रतिवादी अधिकारियों द्वारा बहुत पहले ही ले लिया गया है जिससे याचिकाकर्ता मुआवजा पाने का हकदार है।
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इसमें किसी भी तरह की देरी केवल लागत बढ़ाएगी। कोर्ट का मानना था कि लाल चंदन के पेड़ के मूल्य का निर्धारण करने में आगे के समय को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ताओं को फिलहाल 50,00,000 रुपये की राशि का भुगतान किया जाए। देय मुआवजे के वास्तविक मूल्य के बारे में लेखा-जोखा इस न्यायालय में मूल्यांकन प्राप्त होने पर बाद में किया जाएगा।
कोर्ट ने प्रतिवादियों को 20 जून 2025 तक लाल चंदन के पेड़ का मूल्य निर्धारित करने की प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया। साथ ही 7 जुलाई 2025 तक मूल्यांकन के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश भी दिया था।