नागपुर न्यूज
Nagpur News: उमरेड स्थित करहांडला के जंगल में 31 दिसंबर को पर्यटक वाहन द्वारा एक बाघिन और उसके शावकों का रास्ता रोके जाने की जानकारी उजागर होते ही अब हाई कोर्ट ने इस मामले पर स्वयं संज्ञान लिया है। याचिका पर गुरुवार को सुनवाई के दौरान वन विभाग द्वारा 8 नाव खरीदे जाने की मौखिक जानकारी सरकारी पक्ष द्वारा दी गई।
इस संदर्भ में विस्तृत हलफनामा दायर करने के लिए समय देने का अनुरोध भी कोर्ट से किया जिसके बाद हाई कोर्ट ने सुनवाई स्थगित कर दी। विशेषतः बाघ शिकार के मामले पर गत सुनवाई के दौरान तोतलाडोह बांध में अवैध रूप से मछली पकड़ने में लगे मछुआरों का मुद्दा उजागर हुआ था जिस पर कोर्ट ने जवाब दायर करने को कहा था।
गत सुनवाई के दौरान अदालत मित्र की ओर से कुछ मुद्दों पर अदालत का ध्यानाकर्षित किया गया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र राज्य में विशेष रूप से विदर्भ क्षेत्र में अवैध शिकार के संबंध में आरोपी मध्य प्रदेश से हैं। बाघों के शिकार किए गए हिस्से का व्यापार सह-आरोपी के माध्यम से किया जाता है जिसके बारे में बताया जाता है कि वह मेघालय का रहने वाला है।
तथ्य यह है कि ऐसे अपराधों की अभी भी राज्य वन विभाग द्वारा जांच की जा रही है जिसके बाद हाई कोर्ट ने वन विभाग द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। कोर्ट का मानना था कि यदि राज्य वन विभाग द्वारा जांच में सहयोग का अनुरोध किया जाता है तो सीबीआई प्राथमिकता से बाघ शिकार के मामले में जांच को लेकर सहायता प्रदान करे। कोर्ट ने कहा कि जो तथ्यात्मक मैट्रिक्स उजागर हो रहे हैं उनके अनुसार यह न केवल दोनों राज्यों की लिप्तता दर्शाता है बल्कि आरोपियों की भी लिप्तता है।
अदालत मित्र की ओर से उठाए गए अलग मुद्दे में बताया गया कि पेंच टाइगर रिजर्व में अवैध रूप से मछली पकड़ने की गतिविधि चलती रहती है। इस पर अंकुश के लिए वन विभाग के गश्ती दल को स्पेशल टाइगर फोर्स के कर्मियों द्वारा सहायता प्रदान की गई थी। इसके बावजूद उन पर आग के बमों से हमला किया गया जिसके कारण न केवल पेंच आरक्षित वन में स्थित बड़ा जलाशय नष्ट हो गया बल्कि वन कर्मियों द्वारा उपयोग की जाने वाली नावों को भी आग के हवाले कर दिया गया।
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स्थानीय लोगों द्वारा मध्य प्रदेश के निवासियों के साथ मिलीभगत कर इस घटना को अंजाम दिया गया है। नागपुर ग्रामीण के पुलिस अधिकारी उक्त अपराध की जांच कर रहे हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने वन विभाग को बाघ संरक्षण बल के सशस्त्र कर्मियों के साथ पर्याप्त संख्या में गश्ती नौकाएं उपलब्ध कराने का आदेश दिया था।