जिला परिषद चुनाव (फाइल फोटो)
Nagpur ZP Elections: सर्कल रचना फाइनल होने के बाद अब जिला परिषद चुनाव लड़ने के इच्छुक सभी पार्टियों के कार्यकर्ताओं की सक्रियता बढ़ गई है। चूंकि सर्कल आरक्षण भी नये सिरे से ही होने वाला है, इसलिए बेसब्री से उसका इंतजार हो रहा है। जिले में कांग्रेस, भाजपा और राष्ट्रवादी कांग्रेस के मुख्यत: अधिक सदस्य चुनकर आते हैं। शेष पार्टियों के इक्का-दुक्का सदस्यों को ही मौका मिल पाता है।
अधिकतर या तो भाजपा या फिर कांग्रेस की सत्ता ही जिला परिषद में रही है। बीते चुनाव में कांग्रेस ने पूर्व बहुमत से 32 सीटें जीतकर 58 सदस्यों वाले जिला परिषद में अपना झंडा गाड़ा था। सत्तासीन रही भाजपा केवल 14 सीटों पर सिमट ई थी। संयुक्त राष्ट्रवादी कांग्रेस के 8 सदस्य चुनकर आए थे जो कांग्रेस के साथ रहे। शेकाप, गोंगपा, शिवसेना, निर्दलीय ऐसे 1-1 सदस्य सदन में पहुंचे थे।
अब जिला परिषद में किसी भी तरह सत्तासीन होने का टारगेट भाजपा ने रखा है। वहीं कांग्रेस किसी भी सूरत में अपना कब्जा नहीं छोड़ना चाहती है। एनसीपी भी अपनी सदस्य संख्या बढ़ाने का अथक प्रयास करेगी। सभी जीतने में सक्षम उम्मीदवारों पर ही दांव लगाएंगे। सभी प्रमुख पार्टियों के आलानेताओं ने कई बार स्पष्ट किया है कि चुनाव के समय आगे-पीछे घूमने वालों को नहीं बल्कि जनता के बीच जाकर उनका कार्य करने वालों को ही टिकट मिलेगी।
विधानसभा चुनाव में अपना गढ़ खो देने वाली कांग्रेस व एनसीपी शरद पवार पार्टी कम से कम जिला परिषद, पंचायत समिति, नगर परिषद में अपनी पूरी ताकत झोंकेगी ताकि इन स्थानीय निकाय चुनाव में तो उनकी ताकत बनी रहे। समझा जा रहा है कि अगर सर्कल आरक्षण में किसी को धक्का नहीं लगा तो कांग्रेस व एनसीपी 80 फीसदी तक अपने पूर्व पदाधिकारियों व सदस्यों को ही रिपीट करेंगी। वे नये चेहरों पर कोई जुआ खेलना नहीं चाहेंगी।
एनसीपी काटोल विधानसभा सीट की सभी सर्कल को जीतने की रणनीति पर काम कर रही है। हिंगना विधानसभा सीट पर हालांकि भाजपा ने एनसीपी के पुराने कार्यकर्ताओं को तोड़कर उसे कमजोर किया है लेकिन वह स्थानीय निकाय में यहां से भी अपनी सीटें बढ़ाने का प्रयास कर रही है।
हालांकि, एनसीपी अब दो गुटों में बंट चुकी है और अजित पवार गुट जिले में जीत सकने वाली सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगा। हाल ही में पार्टी प्रमुख अजित पवार ने नागपुर में कार्यकर्ताओं को तगड़ी नसीहत दी थी। उन्होंने साफ कर दिया है कि चुनाव के समय चेहरा दिखाने वालों को उम्मीदवारी तो बिल्कुल नहीं मिलने वाली है। जनता के बीच जाकर कार्य करें और संगठन को मजबूत बनाएं।
बीते चुनाव में भाजपा ने सत्ता खोई थी और उसके सिर्फ 14 सदस्य ही चुनकर आए थे। पूरे 5 वर्ष बीजेपी की जेडपी के सदन में बेहद कमजोर विपक्ष की भूमिका रही थी। विपक्ष का काम तो कांग्रेस के एक सीनियर सदस्य ने ही किया था। बाद के घटनाक्रम में एक और दिग्गज पदाधिकारी भाजपायी हो गए। बीजेपी को किसी भी सूरत में जिला परिषद में भगवा लहराना है।
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महायुति के साथ मिलकर चुनाव लड़ा जाएगा या नहीं, यह भविष्य के गर्त में छिपा है लेकिन वह नये व सक्रिय चेहरों को उम्मीदवारी देगी। दूसरी पार्टियों से आए पूर्व पदाधिकारियों को भी उसे टिकट देना ही है। इनमें कांग्रेस, एनसीपी शरद पवार पार्टी के 3-4 पदाधिकारियों का समावेश है। इस बार 57 सीटों के लिए चुनाव होगा। जिले के दिग्गज भाजपा नेता व मंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी सूरत में चुनाव जीतना है।
बीजेपी इस चुनाव में युवा व नये चेहरों को सर्वाधिक मौका देने वाली पार्टी हो सकती है। कांग्रेस के असंतुष्ट गुट पर भी उसकी नजर गड़ी हुई है। चुनाव आते-आते कुछ और प्रवेश देखने को मिल सकता है। आरक्षण की घोषणाम होते ही सभी पार्टियों के उम्मीदवारों के चेहरे भी स्पष्ट होने की उम्मीद है।