
नागपुर. राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद से इसका सीधा असर निकट भविष्य में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों पर पड़ने की आशंका जताई जा रही थी. हालांकि अभी इस संदर्भ में मुहर नहीं लगी है लेकिन 9 जुलाई को घोषित होने वाली अंतिम मतदाता सूची की प्रक्रिया 7 दिनों तक के लिए टाल दी गई. इस संदर्भ में राज्य चुनाव आयोग ने आदेश जारी किए हैं. बुधवार को आयोग की ओर से जारी किए गए आदेशों के अनुसार अब महानगरपालिकाओं में 16 जुलाई को अंतिम मतदाता सूची घोषित की जाएगी. उल्लेखनीय है कि ओबीसी आरक्षण के मुद्दे को लेकर अटके स्थानीय निकाय चुनावों पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा फटकार लगाए जाने के बाद राज्य चुनाव आयोग ने प्रक्रिया शुरू की थी.
आलम यह है कि इसके पूर्व दिए गए आदेशों के अनुसार प्रारूप मतदाता सूची पर 1 जुलाई तक ही आपत्तियां दर्ज की जा सकती थीं किंतु राज्य की सत्ता को लेकर हुई उठापठक के बीच ही राज्य चुनाव आयोग ने 3 जुलाई तक आपत्तियां दर्ज करने का समय बढ़ा दिया था. जानकारों के अनुसार प्रारूप मतदाता सूची पर आपत्ति दर्ज करने के बाद इसमें सुधार करने के कुछ ही अधिकार महानगरपालिका के पास हैं. निर्धारित तारीख के पूर्व मतदाता जिस क्षेत्र में आवास कर रहा हो और उस क्षेत्र की मतदाता सूची में उसका नाम नहीं आया हो तो इसमें मनपा को सुधार का अधिकार है, लेकिन यदि मतदाता सूची में नाम शामिल करने या अन्य के लिए आपत्ति दर्ज हो तो मनपा को सुधार का कोई अधिकार नहीं है.
राज्य चुनाव आयोग द्वारा जारी आदेशों के अनुसार राज्य की 14 महानगरपालिकाओं में आम चुनाव कराए जाने हैं जिसके लिए अंतिम मतदाता सूची की घोषणा करना है. इन 14 महानगरपालिकाओं में से बृहन्मुंबई, वसई-विरार, ठाणे, उल्हासनगर, नवी मुंबई, कल्याण डोंबिवली महानगरपालिकाएं मुंबई महानगर विकास प्राधिकरण क्षेत्र में आती हैं.
मुंबई महानगर विकास प्राधिकरण क्षेत्र में गत 2 दिनों से भारी बारिश हो रही है. मौसम विभाग के अनुसार अगले 4 दिनों तक अतिवृष्टि की चेतावनी दी गई है. अत: इस दौरान प्रत्यक्ष जगहों पर जाकर स्थानों की निरीक्षण करना जटिल होगा जिससे अंतिम मतदाता सूची घोषित करने की तारीख को बढ़ाया गया है. राजनीतिक जानकारों के अनुसार अंतिम मतदाता सूची घोषित होने के बाद इसमें सुधार की कोई गुंजाइश नहीं रहती है.
यहां तक कि तमाम महानगरपालिकाओं की ओर से मतदाता सूची में नाम खोजने के लिए एप आदि जारी किए गए हैं. अंतिम मतदाता सूची घोषित करने के लिए प्रत्यक्ष रूप से जगहों पर जाकर निरीक्षण करने की फिलहाल कोई आवश्यकता नहीं है. इसे केवल जोनल कार्यालय और मुख्यालय में लगाया जाना है. यही कारण है कि तारीख बढ़ाए जाने पर आश्चर्य जताया जा रहा है.






