समृद्धि महामार्ग पर 4.38 करोड़ की लूट (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur News: समृद्धि महामार्ग के जबलपुर-अमरावती बायपास पुल पर हुई 4.38 करोड़ की लूट के मामले में हिंगना पुलिस की ओर से आईपीसी की धारा 395, 397, 342, 294, 506 (2), 427, 120 (बी), 201 और महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम की धारा 135 के साथ शस्त्र अधिनियम की धारा 3,25 और 4, 25 के तहत एफआईआर दर्ज की गई। जिसमें जमानत के लिए इमरान खान बाबा खान की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई।
याचिका पर दोनों पक्षों की लंबी दलीलों के बाद हाई कोर्ट ने जमानत देने से इंकार कर याचिका ठुकरा दी। अभियोजन पक्ष के अनुसार कल्पेश परमार द्वारा दर्ज कराई गई रिपोर्ट के आधार पर पुलिस द्वारा मामला दर्ज किया गया। जिसमें आरोप लगाया गया है कि 30 जनवरी 2024 को वह जयेश पटेल के साथ नेक्सन फोर व्हीलर नंबर MP-09-ZK-0541 से दो कपड़े के बैग में नोट लेकर नासिक के लिए रवाना हुए।
शिकायतकर्ता जयेश पटेल के साथ समृद्धि राजमार्ग पर जबलपुर-अमरावती बाईपास पुल को लगभग 10.15 बजे पार कर रहा था, उसी समय बिना नंबर प्लेट वाली एक इनोवा कार ने उनकी कार को टक्कर मार दी। इसी बीच, बिना नंबर प्लेट वाली एक सफेद रंग की स्विफ्ट कार उनकी कार के सामने रुकी और उसके बाद उन्हें धमकाकर 4,38,00,000 रु. छीन लिए गए।
याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि जहां तक वर्तमान याचिकाकर्ता की लिप्तता का प्रश्न है, जांच के दौरान कहीं भी इसका पता नहीं चल पाया है। उसे केवल संदेह के आधार पर गिरफ्तार किया गया था और वह भी 23 फरवरी 2024 को गिरफ्तार किया गया। जबकि कथित घटना 30 जनवरी 2024 को हुई थी।
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उन्होंने दलील दी कि अब जांच पूरी हो चुकी है और चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है, इसलिए याचिकाकर्ता को और जेल में रखने की आवश्यकता नहीं है। इस घटना से पहले भी इसी तरह की एफआईआर दर्ज की गई थी, इसलिए इस प्रकार की एफआईआर दर्ज कराना शिकायतकर्ता की प्रवृत्ति है। उन्होंने दलील दी कि जहां तक याचिकाकर्ता की लिप्तता का प्रश्न है, इसमें कोई ठोस सबूत नहीं है, इसलिए उसे ज़मानत पर रिहा किया जाए।
सरकारी पक्ष की ओर से आवेदन का कड़ा विरोध किया गया। सरकारी पक्ष की ओर से बताया गया कि लूटी गई राशि में से 24,84,000 रुपये याचिकाकर्ता द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर बरामद किए गए। इस तरह से अधिकतम राशि याचिकाकर्ता की निशानदेही पर बरामद की गई। गवाहों के बयान मौजूद हैं जो कथित अपराध में इस्तेमाल किए गए वाहन से याचिकाकर्ता के संबंध को दर्शाते हैं। पहचान परेड के दौरान भी एक गवाह ने याचिकाकर्ता की पहचान की थी। दोनों पक्षों की दलीलों के बाद हाई कोर्ट ने उक्त आदेश जारी किया।