
Nagpur BJP Controversy:नागपुर में भाजपा (सोर्सः सोशल मीडिया
Nagpur Municipal Election: भारतीय जनता पार्टी में आंतरिक विरोध के स्वर लगातार तेज होते जा रहे हैं। वरिष्ठ कार्यकर्ता अब नेता-पुत्रों और रिश्तेदारों को टिकट दिए जाने के खिलाफ प्रधानमंत्री से लेकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष तक शिकायतें भेज रहे हैं। पत्रों में आरोप लगाया जा रहा है कि भाजपा भी अब कांग्रेस की तरह परिवारवाद की राह पर चल पड़ी है और निष्ठावान कार्यकर्ताओं के सपनों को कुछ दिग्गज नेता कुचल रहे हैं। कार्यकर्ता भले ही खुलकर नाम न ले रहे हों, लेकिन उनके इशारे स्पष्ट हैं।
भाजपा के 69 वर्षीय वरिष्ठ कार्यकर्ता एडवोकेट दिनेश गुप्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा को पत्र लिखकर नागपुर भाजपा के कुछ नेताओं और वरिष्ठ पदाधिकारियों के कार्यों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि नागपुर महानगरपालिका चुनाव में प्रभाग क्रमांक 8 ‘ड’ (सर्वसाधारण) से 30 वर्षों से सक्रिय एक निष्ठावान कार्यकर्ता की अनदेखी कर ऐसे व्यक्ति को उम्मीदवार बना दिया गया, जिसने न तो टिकट के लिए आवेदन किया था और न ही साक्षात्कार में भाग लिया था।
गुप्ता के अनुसार उस उम्मीदवार की एकमात्र योग्यता यह है कि वह पूर्व विधायक विकास कुंभारे का बेटा है। आम जनता में चर्चा है कि भाजपा भी अब कांग्रेस की राजनीतिक संस्कृति अपनाने लगी है। उन्होंने आरोप लगाया कि नागपुर भाजपा के कुछ बड़े नेताओं ने तानाशाही के मामले में कांग्रेस का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया है और इससे मुख्यमंत्री तथा केंद्रीय मंत्रियों की छवि भी जनता की नजरों में धूमिल हो रही है।
नागपुर महानगरपालिका के आगामी आम चुनाव 2025 की प्रक्रिया के दौरान नामांकन पत्रों की छानबीन को लेकर गंभीर विवाद सामने आया है। प्रभाग क्रमांक 23 ‘ड’ (सामान्य) से निर्दलीय उम्मीदवार मुकेश मधुकर मेश्राम ने चुनाव अधिकारियों और कर्मचारियों पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए हैं।
ये भी पढ़े: आठवले की नाराजगी के बाद महायुति में महा-सुलह, RPI को मिलेंगी 12 सीटें
मुकेश मेश्राम के अनुसार 31 दिसंबर को सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक प्रभाग क्रमांक 4, 23, 24 और 25 के उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों की जांच निर्धारित थी। नियमों के अनुसार सभी उम्मीदवारों के नामांकन फॉर्म डिस्प्ले बोर्ड पर लगाए जाने चाहिए थे, ताकि अन्य उम्मीदवार उनका अवलोकन कर सकें और यदि कोई कमी हो तो आपत्ति दर्ज करा सकें।
मेश्राम का आरोप है कि प्रभाग क्रमांक 23 ‘ड’ के कुछ खास उम्मीदवारों के नामांकन फॉर्म जानबूझकर डिस्प्ले बोर्ड पर नहीं लगाए गए। उन्होंने यह भी संदेह जताया कि चुनाव ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों और कुछ पूर्व पार्षदों के बीच साठगांठ है, ताकि चहेते उम्मीदवारों के फॉर्म पर कोई आपत्ति न ली जा सके।






