शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच में प्रशासन कर रही टालमटोल
नागपुर: भाजपा से जुड़े महाराष्ट्र राज्य शिक्षक परिषद के राज्य कार्याध्यक्ष और पूर्व विधायक नागो गाणार ने आरोप लगाया गया है कि राज्य में बोगस नियुक्ति घोटाले की जांच एसआईटी से करने संबंधी प्रकरण में प्रशासन द्वारा जानबूझकर टालमटोल किया जा रहा है। इस संबंध में मुख्यमंत्री, पालक मंत्री, शालेय शिक्षा मंत्री को स्मरण पत्र भी भेजा है।
शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पर पाबंदी
नागो गाणार ने बताया कि सरकार द्वारा 2 मई 2012 के बाद से शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पर पाबंदी के बाद भी राज्य भर में अनेक नियुक्तियां की गईं। प्रत्येक नियुक्ति पर शाला संचालकों ने युवाओं से 30-40 लाख रुपये वसूले। इसमें सभी जिलों के शिक्षाधिकारियों ने 3-5 लाख रुपये में शिक्षकों को मान्यता दी। नियुक्ति घोटाला 2012 से ही हो रहा है। घोटाले को रोकने के लिए ही शालार्थ आईडी की प्रशासनिक प्रक्रिया की गई लेकिन इसमें भी भ्रष्टाचार हुआ। इसमें राज्य भर के 59 शिक्षाधिकारी दोषी होने के बाद भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
अधिकांश अधिकारियों को मिली बेल
गाणार इससे पहले भी मामले को उजागर कर एसआईटी की जांच की मांग कर चुके हैं। उन्होंने तीसरी दफा मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है लेकिन सरकार मामले को गंभीरता से नहीं ले रही है। केवल नागपुर तक ही मामले को सीमित रखकर एसआईटी का गठन किया गया है जबकि घोटाला समूचे राज्य में हुआ है। शालार्थ आईडी घोटाले में अब तक जितने भी अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है उनमें से अधिकांश को जमानत मिल गई है। नागपुर विभाग तक ही जांच को समिति रखा गया है। मामले में कुल 9 अधिकारियों को आरोपी बनाया गया। इनमें से 6 अधिकारियों को बेल मिल चुकी है जबकि पूर्व विभागीय शिक्षा उपसंचालक वैशाली जामदार, चिंतामण वंजारी और मंगाम ही जेल में हैं।
नागपुर बोर्ड के अधिकारी का भी नाम
मामले में और भी अधिकारियों की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता है। इनमें नागपुर बोर्ड में हाल ही में अतिरिक्त जिम्मेदारी संभालने वाले एक अधिकारी का नाम सामने आ रहा है। लेकिन कुछ अधिकारी भीतरी तौर पर ‘सेटिंग’ जमाकर गिरफ्तारी से बच रहे हैं। मामले की तीव्रता भी धीरे-धीरे कम होती जा रही है। आखिर मुख्य सूत्रधार कौन है, यह अब तक उजागर नहीं हो सका है। इससे लग रहा है कि कई अधिकारी बच निकल जाएंगे।
एसआईटी जांच की गई तो करोड़ों का घोटाला उजागर
गाणार ने इससे पहले संस्था चालकों की संपत्ति की जांच करने और दोषी पाये जाने पर उसे जब्त करने की भी मांग की थी लेकिन अब तक किसी भी संस्था चालक की जांच नहीं हुई। जबकि शिक्षा विभाग में नियुक्ति के लिए लाखों के लेन-देन और बाद में पलट जाने संबंधी शिकायतें पेंडिंग हैं। इतना ही नहीं, कई संस्थाओं के नाम से भी शिकायत की गई है। यदि समूचे मामले की एसआईटी जांच की गई तो करोड़ों का घोटाला उजागर हो सकता है। साथ ही वर्षों से चल रही संस्था चालकों की मनमानी पर भी रोक लग सकेगी।