मुंबई पुलिस (pic credit; social media)
Maharashtra News: गणेशोत्सव की धार्मिक उमंग और मराठा आंदोलन के उफान के बीच मुंबई पुलिस ने अपने कर्तव्य का ऐसा उदाहरण पेश किया है, जिसे शहरवासी लंबे समय तक याद रखेंगे। बीते 170 घंटों से पुलिस और यातायात विभाग के जवान लगातार सड़कों पर तैनात रहकर न केवल सुरक्षा व्यवस्था बनाए हुए हैं, बल्कि भक्तों और प्रदर्शनकारियों के बीच संतुलन कायम करने की चुनौती भी निभा रहे हैं।
करीब 20,000 पुलिसकर्मी शहरभर में सुरक्षा मोर्चे पर डटे हुए हैं। केवल मराठा आंदोलन को संभालने के लिए ही लगभग 4 हजार जवान तैनात किए गए। गणेशोत्सव और आंदोलन की संवेदनशीलता देखते हुए सभी छुट्टियां रद्द कर दी गईं। जो जवान गांव गए थे, उन्हें भी तुरंत ड्यूटी पर बुला लिया गया।
कई पुलिसकर्मी अपने घरों में विराजमान गणपति की आरती में वीडियो कॉल के जरिए शामिल हो रहे हैं। उनके लिए ड्यूटी ही पहली प्राथमिकता है। एक कॉन्स्टेबल ने बताया कि पिछले पांच दिनों से वह सिर्फ कुछ घंटे चौकी पर सोते हैं और फिर फौरन ड्यूटी पर लौट आते हैं।
पुलिस आयुक्त देवेन भारती, संयुक्त आयुक्त सत्यनारायण चौधरी, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अभिनव देशमुख और डीसीपी स्तर के अधिकारी लगातार सड़कों पर गश्त कर रहे हैं। वरिष्ठ अधिकारी आंदोलनकारियों से संवाद कर माहौल शांत रखने में जुटे रहे।
गणपति मंडपों पर लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। लालबाग, गिरगांव, अंधेरी, विले पार्ले जैसे इलाकों में पुलिस को चौकसी बढ़ानी पड़ी। वहीं दूसरी ओर दक्षिण मुंबई की सड़कें आंदोलनकारियों के जाम से ठप थीं। पुलिस दोनों ही मोर्चों पर संतुलन बनाए रही।
पुलिस की साइबर शाखा ने सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों पर नजर रखी। ताकि किसी भी तरह की भड़काऊ सामग्री से हालात न बिगड़ें।
राज्य में प्रति लाख नागरिकों पर केवल 160 पुलिसकर्मी हैं। त्योहार, वीआईपी ड्यूटी और सुरक्षा खतरों के बीच पुलिस रोजाना 11–12 घंटे से ज्यादा ड्यूटी करती है। इसके बावजूद उन्होंने यह साबित कर दिया कि उनकी मेहनत और सतर्कता से ही मुंबई चैन से सो पाती है।