मुंबई में निजी वाहनों का कब्जा (pic credit; social media)
Maharashtra News: मुंबई की पहचान हमेशा से लोकल ट्रेन और बेस्ट बसों से रही है, लेकिन अब तस्वीर बदल गई है। शहर की सड़कों पर निजी वाहनों का दबदबा साफ दिखता है और सार्वजनिक परिवहन की रीढ़ कही जाने वाली बेस्ट बसों की हिस्सेदारी तेजी से घटकर अब एक प्रतिशत से भी कम रह गई है।
बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) की पर्यावरण स्थिति रिपोर्ट 2024-25 के अनुसार, मार्च 2025 तक मुंबई में 50.54 लाख से अधिक वाहन पंजीकृत हो चुके हैं। इनमें से 59.34% दोपहिया और 28.72% कारें, जीप व वैगन हैं। यानी करीब 88% वाहन सिर्फ निजी इस्तेमाल के हैं। वहीं, ऑटो रिक्शा का हिस्सा 5.02%, टैक्सी का 3.27% और मालवाहक वाहनों का 0.42% है। सार्वजनिक परिवहन का अहम हिस्सा कही जाने वाली बेस्ट बसें अब केवल 0.73% पर सिमट गई हैं।
मार्च 2025 तक बेस्ट के पास 2,731 बसों का बेड़ा था। इनमें से 612 बसें सीधे बेस्ट की और बाकी 2,119 वेट-लीज मॉडल पर चल रही थीं। हालांकि राहत की बात यह है कि इनमें से 91% बसें सीएनजी और इलेक्ट्रिक हैं। बेस्ट ने 2027 तक पूरे बेड़े को इलेक्ट्रिक में बदलने का लक्ष्य रखा है। अनुमान है कि इस बदलाव से हर साल करीब 3.18 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आएगी।
अप्रैल 2024 से मार्च 2025 के बीच 2.94 लाख नए वाहन पंजीकृत हुए, जो पिछले साल की तुलना में 6.2% ज्यादा है। इनमें 60.87% दोपहिया, 23.94% कारें, 6.26% टैक्सियां, 3.06% ऑटो रिक्शा और 4.43% मालवाहक वाहन शामिल हैं।
ईंधन की खपत में भी पेट्रोल का दबदबा है। मुंबई में 39.83 लाख वाहन पेट्रोल (78.79%) पर चलते हैं, जबकि 5.63 लाख डीजल, 4.35 लाख सीएनजी और करीब 48,854 इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत हैं।
निजी वाहनों की बढ़ती संख्या से मुंबई की सड़कों पर ट्रैफिक जाम और प्रदूषण की समस्या गंभीर होती जा रही है। ऐसे में उम्मीदें बेस्ट की इलेक्ट्रिक बस योजना और सार्वजनिक परिवहन को मजबूत बनाने के प्रयासों पर टिकी हैं। आने वाले वर्षों में ये कदम कितने कारगर साबित होंगे, इस पर सबकी निगाहें हैं।