मुंबई की जर्जर इमारत (pic credit; social media)
Dilapidated buildings in Mumbai suburbs: मुंबई के उपनगरों में रहने वाले लाखों परिवारों के लिए राहत भरी खबर है। जर्जर और खतरनाक इमारतों का पुनर्विकास अब जल्द संभव हो सकता है। भाजपा विधायक मिहिर कोटेचा ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर बिल्डिंग पुनर्विकास नीति तत्काल लागू करने की मांग की है।
कोटेचा का कहना है कि पुराने नियमों के कारण उपनगरों की खतरनाक इमारतों का पुनर्निर्माण सालों से अटका हुआ है। जबकि मुंबई शहर में यह नीति लागू है, लेकिन उपनगर के लाखों निवासी आज भी खतरनाक इमारतों में जिंदगी जीने को मजबूर हैं।
इस नीति के तहत 2020 में म्हाडा (संशोधन) अधिनियम लाया गया था जिसमें 79-ए, 91-ए और 95-ए प्रावधान शामिल किए गए। 2 दिसंबर 2022 को राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल चुकी है। बावजूद इसके उपनगरों में इसे लागू नहीं किया गया है।
विधायक कोटेचा का कहना है कि अगर 79-ए लागू हो जाता है तो इमारत मालिक टालमटोल नहीं कर पाएंगे और किरायेदार खुद पुनर्विकास का प्रस्ताव पेश कर सकेंगे। वहीं 91-ए के तहत म्हाडा को रुकी हुई परियोजनाओं को पूरा करने का अधिकार मिल जाएगा। 95-ए में निवासियों की सहमति का प्रतिशत 70 से घटाकर 51 किया गया है, जिससे प्रक्रिया और आसान हो जाएगी।
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स्थानीय लोगों का कहना है कि संशोधित नीति लागू होने से असुरक्षित इमारतों में रहने वालों की मुश्किलें खत्म होंगी। घाटकोपर निवासी रमेश कन्नमवार बताते हैं, “हमारी इमारत सालों से खतरनाक हालत में है। टेनेंट और मालिक के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। अगर नए प्रावधान लागू हो जाते हैं तो पुनर्निर्माण का रास्ता साफ हो जाएगा।”
विशेषज्ञों का कहना है कि इस नीति से उपनगरों की रुकी हुई कई पुनर्विकास परियोजनाएं भी फिर से शुरू हो सकेंगी। लोगों को सुरक्षित मकान मिलेंगे और कई जिंदगियां हादसों से बच जाएंगी।
कोटेचा ने साफ कहा है, “राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कोई बहाना नहीं बचता। यह नीति लागू होते ही लाखों परिवारों को सुरक्षा और राहत मिलेगी। हमने सीएम फडणवीस से मांग की है कि इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए।”
मुंबई उपनगरों में खतरनाक इमारतों की तादाद लगातार बढ़ रही है। बरसात और समय के साथ इनकी हालत और खराब होती जा रही है। ऐसे में नीति का लागू होना अब सिर्फ एक प्रशासनिक आदेश की दूरी पर है।