मीरा-भाईंदर की सड़कें गड्डों से भरी (pic credit; social media)
Mira-Bhayander roads in bad condition: मीरा-भाईंदर की मुख्य सड़कों पर गड्डों और खस्ताहाल रोड्स का मामला अब बॉम्बे हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। लंबे समय से नागरिकों, जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के बीच चल रही खींचतान के बावजूद सड़कें जस की तस बनी हुई हैं। व्यरिरकार, गो ग्रीन फाउंडेशन ट्रस्ट के अध्यक्ष वीरभद्र कोनापुरे ने इस संबंध में मुंबई हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। सुनवाई 16 सितंबर को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष तय है।
2022 में मेट्रो लाइन निर्माण के दौरान मीरा-भाईंदर की मुख्य सड़कों का नवीनीकरण एमएमआरडीए की देखरेख में किया गया था। ठेकेदार कुमार को बिना निविदा 22 करोड़ 12 लाख रुपये का ठेका दिया गया था। दावा किया गया था कि मैस्टिक अस्फाल्ट डामर से बनी सड़कें कम से कम 5 साल तक मजबूत रहेंगी।
लेकिन हकीकत इसके उलट निकली। सड़कें कुछ ही समय में गड्ढों से भर गईं। नागरिकों को रोजाना हादसों और ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ रहा है। काशी मीरा क्षेत्र में हाल ही में एक महिला वाहन चालक गड्डे में गिरकर चोटिल हो गई। पिछले तीन वर्षों में 30-40 दुर्घटनाएं पहले ही दर्ज हो चुकी हैं। बारिश के समय स्थिति और भयावह हो जाती है क्योंकि पानी भरने से गड्डे दिखाई नहीं देते और वाहन सीधे उनमें गिर जाते हैं।
पत्रिका में आरोप लगाया गया है कि निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार हुआ। महामारी के दौरान ठेकेदार और उप-ठेकेदार ने काम वैज्ञानिक तरीके से नहीं किया। गड्डे भरने में सस्ते और घटिया मटेरियल का इस्तेमाल किया गया, जिससे सड़कें जल्द ही खराब हो गईं।
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों का आरोप है कि प्रशासन लगातार नाकाम रहा। कई बार शिकायत के बावजूद सड़क सुधार या सुरक्षा उपाय लागू नहीं किए गए। मीरा-भाईंदर माह और पुलिस प्रशासन ने बार-बार नोटिस दिए जाने के बावजूद समस्या जस की तस बनी हुई है।
इस याचिका के जरिए नागरिकों ने हाईकोर्ट से आग्रह किया है कि एमएमआरडीए और ठेकेदार की जवाबदेही तय की जाए और सड़क सुधार कार्य तुरंत शुरू किया जाए। यदि जल्द कार्रवाई नहीं होती है तो नागरिकों की सुरक्षा खतरे में बनी रहेगी।