
देवेंद्र फडणवीस-उद्धव ठाकरे-अजित पवार (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Maharashtra Elections: महाराष्ट्र में 29 महानगरपालिका के चुनावों के लिए नामांकन की प्रक्रिया मंगलवार, 30 दिसंबर को खत्म हो गई, नामांकन के आखिरी दिन सत्ताधारी महायुति के अलावा विपक्ष की महाविकास आघाड़ी में आक्रोश, इस्तीफे, बगावत व नौटंकी के सारे रंग देखने को मिले। महायुति सरकार में शामिल बीजेपी और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे की शिवसेना के बीच 14 जगहों पर युति टूट गई।
जिन जगहों पर बीजेपी व शिंदे सेना एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे, उनमें पुणे, पिंपरी-चिंचवड़, नाशिक, नदिड़, अमरावती, मालेगांव, अकोला, मीरा-भायंदर, नवी मुंबई, धुले, उल्हासनगर, सांगली, छत्रपति संभाजीनगर और जालना म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन शामिल है। इन महानगरपालिका में मल्टी कार्नर कटिस्ट देखने को मिलेगा।
इनमें बीजेपी व शिंदे सेना के अलावा ठाकरे बंधु (उद्धव व राज ठाकरे), कांग्रेस (प्रकाश आंबेडकर की वंचित आघाड़ी के साथ महादेव जानकर की रासपा) व शरद पवार व अजीत पवार की राकां भी अपने गठबंधन के साथ चुनावी मैदान में है।
मुंबई के महानगरपालिका चुनाव में केंद्रीय मंत्री और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के प्रमुख रामदास आठवले ने बीजेपी व शिंदे सेना के साथ मिल कर चुनाव लड़ने का फैसला किया था लेकिन मनमुताबिक सीटें नहीं मिलने के बाद आठवले का मोहभंग हो गया।
उन्होंने कहा कि हमें 7 सीटें देने का फैसला किया गया, लेकिन हमारी पसंद की एक भी सीट लिस्ट में नहीं थी। आठवले ने कहा कि अब हमने 38 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है। हालांकि उन्होंने कहा कि हम दूसरी सीटों पर बीजेपी व शिंदे सेना को सपोर्ट करेंगे।
नागपुर महानगरपालिका के चुनाव में बीजेपी ने शिंदे सेना को सिर्फ 8 सीटें दी है। खास बात यह है कि इनमें से 6 सीटों पर शिंदे सेना की तरफ से बीजेपी के उम्मीदवारों को उतारा गया है। इस तरह से सिर्फ 2 सीटों पर शिंदे सेना के उम्मीदवार खड़े होंगे। अजीत पवार की राकां यहां अपने दम पर चुनाव लड़ रही है।
नागपुर में सीटों के बंटवारे से नाराज शिंदे युवा सेना के जिला अध्यक्ष निलेश तीघरे ने सीधे अपना इस्तीफा एकनाथ शिंदे को भेज दिया है। यहां सिर्फ 8 सीटें मिलने से शिंदे सेना के नेताओं में काफी नाराजगी है।
नागपुर में विपक्ष की मविआ में भी फूट पड़ गई है। यहां अब कांग्रेस व पवार की राकां ने अलग-अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया है। शरद पवार गुट के नागपुर अध्यक्ष दुनेश्वर पेठे ने कहा कि कांग्रेस नेताओं के साथ सोमवार रात तक चर्चा जारी रही लेकिन बाद में वे पलट गए।
हमने 25 सीटें मांगी थीं लेकिन बाद में 15 सीटों पर लड़ने की बात कही लेकिन कांग्रेस इसके लिए भी तैयार नहीं हुई, लगता है कि कांग्रेस, बीजेपी की मदद करना चाहती है। इसलिए उन्होंने हमारे साथ गठबंधन नहीं करने का फैसला किया है।
छत्रपति संभाजीनगर म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के चुनाव में बीजेपी व शिंदे गुट आमने-सामने हैं। शिंदे गुट के कैबिनेट मंत्री संजय शिरसाट ने ऐलान किया कि बीजेपी के रवैये की वजह से अलायंस तोड़ने का फैसला लिया गया है। बीजेपी के घमंड की वजह से अलायंस टूट गया। संभाजीनगर में गठबंधन टूटने का लाभ उद्धव ठाकरे और कांग्रेस को हो सकता है। ऐसा कुछ भी हुआ तो उसके लिए बीजेपी पूरी तरह से जिम्मेदार रहेगी।
पुणे मनपा चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने पहुंचीं प्रभाग क्रमांक 3 से शिवसेना (शिंदे गुट) की नेता पद्मा शेलके ने दावा किया कि उनका ‘एबी फॉर्म’ किसी ने चुरा लिया है। शेलके चुनाव कार्यालय के बाहर ही फूट-फूट कर रोने लगीं। उन्होंने दावा किया कि उनके हाथ में फॉर्म पहुंचने से पहले ही एक साजिश के तहत किसी ने चोरी कर दूसरे उम्मीदवार के पास पहुंचा दिया। आखिर वफादार कार्यकर्ताओं के साथ इस तरह अन्याय क्यों किया जा रहा है।
यह भी पढ़ें – मनपा चुनाव: उत्तर भारतीयों का ‘पश्चिम-नागपुर’ पैटर्न, सियासी दलों की बड़ी चिंता, कहा- जो समाज का…
चंद्रपुर नगर निगम चुनाव के लिए श्याम बोबडे ने पहले बीजेपी और फिर कांग्रेस से चुनावी टिकट की मांग की थी। लेकिन जब दोनों ही पार्टियों ने उन्हें उम्मीदवार बनाने से इनकार कर दिया, तो वे फूट-फूट कर रोने लगे। टिकट के लिए वे कांग्रेस सांसद प्रतिभा धानोरकर के कार्यालय भी पहुंचे, लेकिन बोबडे को वहां से भी निराशा हाथ लगी। इसके बाद उनकी आंखों से आंसू छलक उठे।
टिकट न मिलने से नाराज महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्व वाली राकां के एक कार्यकर्ता ने अपने समर्थकों के साथ मिलकर नागपुर में पार्टी कार्यालय में तोड़फोड़ की। आगामी नागपुर महानगरपालिका चुनावों में अविनाश पारडीकर को टिकट देने से इनकार किए जाने के बाद, नाराज कार्यकर्ताओं ने गणेशपेठ क्षेत्र में राकां कार्यालय के टेलीविजन सेट और खिड़कियां तोड़ दी।
राकां शहर अध्यक्ष अनिल अहिरकर ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं का नाराज होना स्वाभाविक है। एक सीट के लिए 10 से अधिक दावेदार थे, लेकिन टिकट केवल एक को ही मिल सकता है, हमने सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करने का प्रयास किया है।






