
मंत्री गुलाबराव पाटिल (सोर्स: सोशल मीडिया)
Gulabrao Patil Controversial Statement: महाराष्ट्र की राजनीति में महाराष्ट्र के मंत्री व शिवसेना नेता गुलाबराव पाटिल के एक बयान ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। हाल ही में दिए गए एक भाषण में पाटिल ने कहा था कि “लक्ष्मी आने वाली है, इसलिए बाहर खाट पर सोना चाहिए।” उनके इस बयान को विपक्ष ने तुरंत चुनावी संदर्भ से जोड़ते हुए आरोप लगाया कि मंत्री का संकेत कथित रूप से चुनावों के दौरान होने वाले लक्ष्मी दर्शन यानी अवैध पैसों के वितरण से था। विपक्ष ने इस बयान को नैतिक और राजनीतिक रूप से अनुचित बताते हुए उनकी कड़ी आलोचना की।
विवाद बढ़ने के बाद मंत्री गुलाबराव पाटिल ने सफाई देते हुए कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि लक्ष्मी शब्द का अर्थ उन्होंने पैसा या करेंसी नोट नहीं, बल्कि अपनी मां और बहनों के रूप में देवी स्वरूप महिलाओं से लगाया था। पाटिल ने कहा कि महिलाओं का आदर करने की भारतीय परंपरा को प्रतीकात्मक रूप से समझाने के लिए उन्होंने यह उदाहरण दिया था।
पाटिल का कहना था कि लक्ष्मी का अर्थ हमेशा पैसे से जोड़कर देखना गलत है, क्योंकि भारतीय संस्कृति में यह शब्द देवी, समृद्धि और परिवार की महिलाओं के सम्मान का प्रतीक है। उनका दावा है कि बयान के मूल भाव को विपक्ष ने जानबूझकर गलत तरीके से प्रस्तुत किया।
सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि दमानिया ने पाटिल की सफाई को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि मंत्री लक्ष्मी से परिवार की महिलाओं का जिक्र कर रहे थे, तो फिर लोगों को बाहर खाट पर सोने की सलाह देने का क्या औचित्य था? दमानिया के अनुसार, खाट डालकर बाहर सोने का संदर्भ किसी परिजन के स्वागत से बिल्कुल मेल नहीं खाता।
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उनका कहना है कि मंत्री का मूल बयान और बाद में दिया गया स्पष्टीकरण एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं और यह साफ दिखाता है कि विवाद बढ़ने के बाद बात संभालने की कोशिश की गई है।
पाटिल ने बयान का बचाव करते समय और उलझन पैदा कर दी। आलोचकों ने कहा कि अगर “लक्ष्मी” से मंत्री का अभिप्राय मां-बहन थी, तो उन्होंने जनता को बाहर खाट डालकर सोने जैसी अजीब सलाह क्यों दी?
इस बयान ने राज्य की राजनीति में नया मुद्दा खड़ा कर दिया है, और विरोधी दल इसे लेकर सरकार पर हमलावर रुख बनाए हुए हैं। विवाद अभी थमने के आसार नहीं दिख रहे।
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