
प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Maharashtra News: जिसे किसानों का राज्य कहा जाता है, अब नशे की चपेट में आ चुका है। देश के प्रमुख राज्यों में से एक, महाराष्ट्र अब ‘उड़ता पंजाब’ की तरह ‘उड़ता महाराष्ट्र’ बनता जा रहा है। जहां नशीली दवाओं ने पूरे राज्य को जकड़ लिया है।
हाल की घटनाओं से पता चलता है कि राज्य के औद्योगि बंद पड़ी फैक्ट्रियां ड्रग्स का आ हैं। जहां प्रतिबंधित ड्रग्स, जैसे केटामाइन, का बड़े पैमाने पर उत्पादन हो रहा है। ये नशीले पदार्थ युवाओं को बर्बाद करने के साथ-साथ अपराध की नई दुनिया रच रहे हैं।
पिछले दो वर्षों में मुंबई पुलिस की एंटी नारकोटिक्स सेल (एएनसी) और राज्य पुलिस ने विभिन्न शहरों व जिलों में, ड्रग्स बनाने वाली फैट्रियों का भंडाफोड़ कर एक हजार से अधिक प्राथमिकी दर्ज की हैं। जिसमें 1500 से अधिक ड्रग्स पैडलर्स को गिरफ्तार किया है, वहीं इन माफियाओं से सैकड़ों करोड़ रुपये की मेफेड्रोन (एमडी) ड्रग्स जब्त की गई हैं। कई मामलों में फार्मेसी छात्रों को भी गिरफ्तार किया गया है, जिनकी मदद से दवाइयों द्वारा ड्रग्स बनाने का काम किया जा रहा है।
ताजा मामले में, पुलिस उपायुक्त (जोन-6) समीर शेख के मार्गदर्शन में नालासोपारा में, एक ड्रग्स बनाने की फैक्ट्री का पर्दाफाश कर पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके पास से करीब 14 करोड़ रुपये का इग्स बरामद हुआ है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि चेक नाकों और सघन जांच के बावजूद ड्रग्स मुंबई और अन्य शहरों में कैसे पहुंच रहा है। यह पुलिस की नाकामी को दर्शाता है। हालांकि पुलिस समय-समय पर कार्रवाई कर सतर्कता का दावा करती है। लेकिन उनकी विफलता के कारण ही ड्रग्स बनाने की फैट्रियां चल रही हैं, और इम्स एक शहर से दूसरे शहर तक सप्लाई हो रहा है।
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जांच एजेंसियों को सदेह है कि, दूसरे राज्यों से महाराष्ट्र में ड्रग्स की खेप लाई जा रही है। गुजरात और महाराष्ट्र सीमा की दूरी महज 236 किलोमीटर या 146.6 मील या 127.4 समुद्री मौल है। यानी सिर्फ 4 घंटे लगते है और हालाकि समुद्री रास्ते से उससे भी कम समय में एक दूसरे के राज्य में दाखिल हो सकते हैं।






