
मीरा-भाईंदर मनपा (सौ. सोशल मीडिया )
Mumbai News In Hindi: मीरा-भाईंदर महानगरपालिका द्वारा भाईंदर पश्चिम के पाँच गाँवों उत्तन, पाली, चौक, तरोड़ी और डोंगरी के लिए जारी की गई विकास योजना (DP) को लेकर स्थानीय ग्रामीणों में तीव्र असंतोष फैल गया है।
ग्रामीणों का कहना है कि योजना को समझने और आपत्तियाँ दर्ज कराने के लिए मनपा प्रशासन द्वारा दी गई 30 दिन की अवधि अपर्याप्त है और इसे एमआरटीपी अधिनियम की धारा 26 के अनुसार 60 दिन तक बढ़ाया जाना चाहिए।
इस संदर्भ में मनपा के नगर रचना विभाग के सहायक निदेशक पुरुषोत्तम शिंदे ने बताया कि निर्धारित 30 दिन के अंदर जितने दिन मनपा के कामकाज बंद या अवकाश दिवस थे, उतने दिन की अवधि बढ़ाई जाएगी।
मीरा-भाईंदर मनपा आयुक्त एवं प्रशासक राधाबिनोद शर्मा ने 24 सितंबर को विकास योजना का मसौदा प्रकाशित किया था। इस पर आपत्तियाँ और सुझाव दर्ज कराने के लिए 24 अक्टूबर तक की अवधि निर्धारित की गई थी। यह समयसीमा पूर्ण हो चुकी है, जिसके बाद ग्रामीणों ने औपचारिक रूप से अवधि बढ़ाने की माँग मनपा आयुक्त को सौंपी है। ग्रामीणों का तर्क है कि त्योहारों के मौसम में मनपा कार्यालय कई दिनों तक बंद रहा, जिससे नागरिकों को वास्तविक रूप से बहुत कम कार्य दिवस मिले। इस वजह से योजना का अध्ययन और आपत्ति दर्ज कराने की प्रक्रिया प्रभावित हुई। पूर्व पार्षद शर्मिला बगाजी और स्थानीय मछुआरों के नेता बर्नाड डिमेलो ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि प्रशासन को कानूनी और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सम्मान करते हुए आपत्ति अवधि को 60 दिन तक बढ़ाना चाहिए, ताकि हर नागरिक अपनी राय व्यक्त कर सके।
ग्रामीणों ने बताया कि महाराष्ट्र क्षेत्रीय नगर नियोजन (एमआरटीपी) अधिनियम, 1966 की चारा 26 के अनुसार किसी भी विकास योजना के मसौदे पर आम जनता से आपत्तियों और सुझाव प्राप्त करने के लिए कम से कम 60 दिन का समय दिया जा सकता है। हालांकि मनपा के नगर रचना विभाग के सहायक निर्देशक पुरुषोत्तम शिंदे ने स्पष्ट किया कि 2011 की जनगणना के अनुसार मीरा-भाईंदर की जनसंख्या लगभग 8 लाख है। और 10 लाख से कम आवादी वाले शहरों के लिए 30 दिन की अवधि ही विधिसम्मत मानी जाती है।
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इस विकास योजना में कई सार्वजनिक और नागरिक सुविधाओं के आरक्षण प्रस्तावित किए गए हैं जिनमें नई सड़के और मार्ग विस्तार, मछली बाजार एवं कोल्ड स्टोरेज, खेल के मैदान, अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र, पर्यटन केंद्र एवं मेट्रोकार शेड, डंपिंग ग्राउंड के लिए आरक्षण साथ ही अविकसित क्षेत्रों को घटाकर आवासीय क्षेत्रों को बढ़ाने का भी प्रस्ताव रखा गया है। प्रशासन का कहना है कि यह योजना नागरिकों की बढ़ती जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है।






