धनंजय मुंडे को हाई कोर्ट ने दी राहत (सौजन्य-सोशल मीडिया)
मुंबई: एनसीपी (अजित गुट) के नेता और पूर्व मंत्री धनंजय मुंडे को कथित पहली पत्नी करुणा मुंडे को गुजारा भत्ता देने के सत्र न्यायालय के अंतरिम आदेश को उच्च न्यायालय ने गुरुवार को स्थगित कर दिया। कनिष्ठ न्यायालय ने मुंडे को घरेलू हिंसा के आरोप में दोषी ठहराया था। साथ ही, करुणा को हर महीने दो लाख रुपये भरण-पोषण देने का आदेश भी मुंडे को दिया गया था।
यह आदेश सत्र न्यायालय ने भी कायम रखा था और गुजारा भत्ता की राशि में वृद्धि भी की थी। मुंडे ने इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति मंजुशा देशपांडे की एकलपीठ के समक्ष मुंडे की याचिका की सुनवाई हुई। इस दौरान एकलपीठ ने सत्र न्यायालय के आदेश को स्थगित कर दिया। साथ ही, गुजारा भत्ता की कुल राशि में से 50 प्रतिशित राशि मुंडे को न्यायालय में जमा करने का आदेश भी दिया।
मुंडे ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उनका 2001 में राजश्री मुंडे से वैध विवाह हुआ है और उनके तीन बच्चे हैं। करुणा से उनका विवाह नहीं हुआ था। उनका करुणा के साथ संबंध सहमति से था और उन्हें उनके वैवाहिक जीवन की जानकारी थी। इसलिए इस मामले में घरेलू हिंसा का कानून लागू नहीं होता। मुंडे ने यह भी कहा कि दंडाधिकारी और सत्र न्यायालय का आदेश मनमाना और तर्कहीन है। इसके अलावा, करुणा द्वारा सोशल मीडिया और अन्य आधिकारिक दस्तावेजों में मुंडे का उपनाम इस्तेमाल करना भ्रामक है।
वहीं, करुणा ने दावा किया है कि उनका मुंडे से 1998 में विवाह हुआ था और इस विवाह से उनके दो बच्चे हैं। करुणा ने मुंडे पर शारीरिक और मानसिक शोषण का आरोप लगाते हुए घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज कराई थी। साथ ही, वे स्वयं और अपने दो बच्चों के लिए पांच-पांच लाख रुपये और कुल 25 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग भी कर रही हैं।