देवेंद्र फडणवीस (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Trilingual formula in Maharashtra : महाराष्ट्र में त्रिभाषा सूत्र को लेकर दो निर्णयों को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मनसे और शिवसेना यूबीटी के विरोध प्रदर्शन के बाद रद्द किया था। इसके बाद 5 जुलाई को ठाकरे बंधुओं की ओर से एक विजय रैली का आयोजन किया गया। त्रिभाषा सूत्र के संदर्भ में नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है।
इसी बीच उद्धव और राज ने कहा है कि उन्हें हिंदी भाषा से विरोध नहीं है, लेकिन अगर हिंदी थोपी गई तो वे यह बर्दाश्त नहीं करेंगे। वहीं दूसरी ओर, मुख्यमंत्री फडणवीस ने स्पष्ट कर दिया है कि महाराष्ट्र में त्रिभाषा सूत्र को 100 प्रतिशत लागू किया जाएगा। फडणवीस ने कहा कि जब पहली बार यह जीआर जारी हुआ, तो इस पर कई लोगों से चर्चा हुई। उस समय सवाल यह था कि हिंदी अनिवार्य क्यों है? हमने कहा था कि तीसरी भाषा हिंदी होगी।
उन्होंने कहा कि उस समय सभी का यही कहना था – हिंदी अनिवार्य क्यों? बाद में हमने फिर से चर्चा की और महसूस किया कि यह बात उचित हो सकती है। इसलिए हमने आदेश में बदलाव किया और यह स्पष्ट किया कि हिंदी अनिवार्य नहीं है। अगर कोई हिंदी को चुनना चाहता है तो चुन सकता है, और अगर कोई अन्य भारतीय भाषा लेना चाहता है तो हम उसे सिखाने के लिए भी तैयार हैं।
अगर किसी भाषा के लिए 20 विद्यार्थी नहीं मिलते, तो हमें वह भाषा ऑनलाइन सिखानी पड़ेगी। उन्होंने आगे कहा कि मान लीजिए दो बच्चों ने कहा कि हमें तेलुगू सीखनी है – तो शिक्षक कहां से लाएंगे? लेकिन इसके बाद मुद्दा बदल गया। अब सवाल ये नहीं रहा कि हिंदी क्यों, बल्कि ये हो गया कि तीसरी भाषा पहली कक्षा से क्यों? छठी से क्यों नहीं?
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सीएम फडणवीस ने कहा कि हमारे कार्यकाल में यह रिपोर्ट नहीं आई थी, इसलिए हम चाहते हैं कि फिर से सभी की राय ली जाए। इसी वजह से हमने एक समिति गठित की है। मैं फिर से स्पष्ट करना चाहता हूं – हमारे लिए यह विषय प्रतिष्ठा का नहीं है। लेकिन एक बात निश्चित है – त्रिभाषा सूत्र महाराष्ट्र में लागू होगा ही। यह तय करना कि यह पहली कक्षा से होगा या 6वीं से, यह समिति तय करेगी। लेकिन 100% हम इसे लागू करेंगे। अगर अंग्रेजी का स्वागत हो सकता है, तो भारतीय भाषाओं का विरोध मैं कतई सहन नहीं करूंगा।