ब्रेन स्ट्रोक (pic credit; social media)
Mumbai Brain Stroke Cases: ब्रेनस्ट्रोक अब केवल बुजुर्गों की बीमारी नहीं रह गई है। अस्वस्थ जीवनशैली, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और लगातार तनाव के कारण अब 40-50 साल की उम्र में भी लोग स्ट्रोक का शिकार हो रहे हैं। सिरिक्रोवैस्कुलर सोसायटी ऑफ इंडिया ने न्यूरोवास्कॉन 2025 सम्मेलन में चेतावनी दी कि भारत में स्ट्रोक अब मौत और अपंगता का सबसे बड़ा कारण बनता जा रहा है।
मुंबई में हर रोज लगभग 50-60 मरीज ब्रेन स्ट्रोक से जूझते हैं, लेकिन इनमें से केवल 10% ही समय पर अस्पताल पहुंच पाते हैं। बाकी मरीजों को देर से इलाज मिलने के कारण हमेशा के लिए अपंगता झेलनी पड़ती है। यह स्थिति परिवार और समाज दोनों के लिए भारी बोझ बन रही है।
सम्मेलन में डॉ. बटुक दियोरा (न्यूरोसर्जन) ने बताया कि स्ट्रोक दो तरह के होते हैं। पहला, इस्केमिक स्ट्रोक, जब खून की नली ब्लॉक हो जाती है। दूसरा, हेमरेजिक स्ट्रोक, जब ब्लड प्रेशर बढ़ने से खून की नली फट जाती है।
डॉक्टरों ने BEFAST फॉर्मूला याद रखने की अपील की
B: बैलेंस – अचानक लड़खड़ाना
E: आईज – धुंधला या डबल दिखाई देना
F: फेस – चेहरे पर तिरछापन
A: आर्म – एक हाथ उठाने में परेशानी
S: स्पीच – तोतली या अस्पष्ट बोली
T: टाइम – तुरंत अस्पताल पहुंचना
विशेषज्ञों ने कहा कि अब स्ट्रोक युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है। समय रहते संतुलित खानपान, नींद और व्यायाम से इसे रोका जा सकता है। डॉ. भावना दियोरा ने चेताया कि स्ट्रोक एक मेडिकल इमरजेंसी है। समय पर इलाज मिलने पर मरीज की जान भी बच सकती है और अपंगता से भी बचाव होता है।
डॉ. संगीता रावत (केईएम अस्पताल) ने बताया कि मुंबई में हर दिन 50-60 स्ट्रोक केस आते हैं, लेकिन केवल 10% मरीज समय पर अस्पताल पहुंचते हैं। भारत में प्रति 1 लाख आबादी में 119-145 स्ट्रोक केस सामने आते हैं और 20-30% केस 50 साल से कम उम्र में होते हैं। WHO के अनुसार स्ट्रोक दुनिया में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है, जो 11% मौतों के लिए जिम्मेदार है।