बॉम्बे हाई कोर्ट (सोर्स: सोशल मीडिया)
Mumbai News: बंबई उच्च न्यायालय ने तीन साल पहले हुई ‘हिट एंड रन’ की घटना में एक व्यक्ति की मौत के मामले की जांच में लापरवाही बरतने के लिए पुलिस को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि वे अपेक्षित मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं। न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की पीठ ने बुधवार को अपने फैसले में कहा कि मुंबई पुलिस ने जांच में ढिलाई बरती और अदालत के हस्तक्षेप के बाद ही जांच में तेजी आई। अदालत ने कहा कि जांच अधिकारी को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए क्योंकि उसका आचरण “स्तब्ध कर देने वाला और निंदनीय” था।
पीठ ने मामले की सुनवाई शीघ्रता से करने तथा एक वर्ष के भीतर पूरी करने का निर्देश दिया। यह आदेश घटना में मारे गए 20 वर्षीय युवक की मां द्वारा दायर याचिका पर पारित किया गया, जिसमें पुलिस द्वारा मामले की जांच में निष्क्रियता और घटना में शामिल ट्रक और उसके चालक का पता नहीं लगाने का आरोप लगाया गया।
याचिका के अनुसार, अगस्त 2022 में मलाड इलाके में एक तेज रफ़्तार ट्रक के स्कूटर को टक्कर मारने से युवक की मौत हो गई थी। अक्टूबर 2023 में, पुलिस ने स्थानीय अदालत में ‘ए’ सारांश रिपोर्ट (आरोपी की पहचान करने में असमर्थ) दाखिल की। पीड़ित की मां के उच्च न्यायालय में अपील दायर करने के बाद, पुलिस ने मामले को फिर से खोला और नए सिरे से जांच शुरू की।
पिछले महीने, जांच की धीमी गति और आरोपी का पता लगाने में असमर्थता के लिए उच्च न्यायालय की फटकार के बाद पुलिस ने अदालत को सूचित किया कि आरोपी चालक को गिरफ्तार कर लिया गया है और मामले में आरोप पत्र दाखिल किया गया है। अदालत ने तीन सितंबर के अपने आदेश में कहा कि पुलिस जांच में “बेहद लापरवाह” रही है।
पीठ ने कहा, “17 अगस्त, 2022 को हिट-एंड-रन दुर्घटना में एक युवक की जान चली गई, फिर भी पुलिस को आरोपी का पता लगाने और आरोपपत्र दाखिल करने में तीन साल लग गए।” अदालत ने कहा कि उसे समझ नहीं आ रहा कि पिछले तीन वर्षों में पुलिस ने आरोपी का पता लगाने के लिए प्रभावी कदम क्यों नहीं उठाए। पीठ ने कहा कि ऐसा लगता है कि इस अदालत द्वारा पुलिस को संभावित परिणामों के बारे में आगाह करने के बाद ही जांच में तेजी आई।
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पीठ ने मामले की जांच करने वाले अधिकारी के प्रति अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि उसे जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए क्योंकि उसका आचरण “स्तब्ध कर देने वाला और निंदनीय” था। अदालत ने पुलिस महानिदेशक को संबंधित पुलिस अधिकारी के खिलाफ कर्तव्य में लापरवाही और दोषपूर्ण जांच के लिए विभागीय जांच शुरू करने का निर्देश दिया। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत को भी मुकदमे में तेजी लाने और एक वर्ष के भीतर इसका निपटारा करने का निर्देश दिया। – एजेंसी इनपुट के साथ